प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में लोगों से चीतों को लेकर चलाए जाने वाले अभियान में हिस्सा लेने का आह्वान किया है। उन्होंने पूछा कि चीतों का क्या नाम रखा जाना चाहिए? उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपना मासिक रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) किया। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे अफ्रीका से लाए गए चीतों के नाम सुझाएं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर से मन की बात कार्यक्रम में चीतों पर बात करने की मांग की गई थी। इसके लिए बहुत से लोगों ने लिखा था। देश के कोने-कोने से लोगों ने भारत में चीतों के लौटने पर खुशी जताई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोग पूछ रहे हैं कि हमें चीतों को देखने का अवसर कब मिलेगा। इसके लिए टास्कफोर्स बनी है। यह टास्कफोर्स देखेगी कि यहां के माहौल में चीते कितने घुलमिल पाए हैं। इसके बाद लोगों के देखने पर फैसला लिया जाएगा। इससे पहले लोग चीतों को लेकर गांव-गांव में चलाए जाने वाले अभियान में हिस्सा ले सकते हैं।
पीएम ने कहा कि आप इस अभियान में हिस्सा ले सकते हैं। आप बता सकते हैं कि चीतों को लेकर चलाए जा रहे अभियान का नाम क्या होना चाहिए? हर चीते को क्या नाम दिया जाए? इंसान को जंगली जानवरों के साथ किस तरह व्यवहार करना चाहिए। आप से मेरी अपील है कि इस प्रतियोगिता में जरूर भाग लीजिए। क्या पता इनाम के रूप में आपको चीते को देखने का पहला अवसर मिल जाए।
दीनदयाल उपाध्याय को किया याद
नरेंद्र मोदी ने कहा कि 25 सितंबर को देश के प्रखर मानवतावादी चिंतक और महान सपूत दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिन मनाया जाता है। किसी भी देश के युवा जैसे-जैसे अपनी पहचान और गौरव पर गर्व करते हैं, उन्हें अपने मौलिक विचार और दर्शन उतने ही आकर्षित करते हैं। दीनदयाल के विचारों की सबसे बड़ी खूबी यही रही है कि उन्होंने अपने जीवन में विश्व की बड़ी-बड़ी अथल-पुथल को देखा था। वो विचारधाराओं के संघर्षों के साक्षी बने थे। इसलिए उन्होंने एकात्म मानवदर्शन और अंत्योदय का विचार देश के सामने रखा जो पूरी तरह भारतीय था।
दीनदयाल का एकात्म मानवदर्शन एक ऐसा विचार है जो विचारधारा के नाम पर द्वन्द्व और दुराग्रह से मुक्ति दिलाता है। उन्होंने मानव मात्र को एक समान मानने वाले भारतीय दर्शन को फिर से दुनिया के सामने रखा। आधुनिक, सामाजिक और राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में भी भारतीय दर्शन कैसे दुनिया का मार्गदर्शन कर सकता है, ये दीनदयाल ने हमें सिखाया। एक तरह से आजादी के बाद देश में जो हीनभावना थी, उससे आजादी दिलाकर उन्होंने हमारी बैद्धिक चेतना को जागृत किया। वह कहते थे कि हमारी आजादी तभी सार्थक हो सकती है जब वो हमारी संस्कृति और पहचान की अभिव्यक्ति करे।
भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम
पीएम ने कहा कि 28 सितंबर को अमृत महोत्सव का एक विशेष दिन आ रहा है। इस दिन हम भारत मां के वीर सपूत भगत सिंह की जयंती मनाएंगे। भगत सिंह की जयंती के ठीक पहले उन्हें श्रद्धांजलि स्वरुप एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है। यह तय किया है कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम अब शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा। शहीदों के स्मारक, उनके नाम पर स्थानों और संस्थानों के नाम हमें कर्तव्य के लिए प्रेरणा देते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही देश ने कर्तव्य पथ पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति की स्थापना के जरिए भी ऐसा ही एक प्रयास किया है।
साइन लैंग्वेज अभियान का मिल रहा लाभ
नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में बरसों से एक बड़ी दिक्कत थी कि साइन लैंग्वेज के लिए कोई स्पष्ट हाव-भाव तय नहीं थे, स्टैन्डर्ड्स नहीं थे। इन मुश्किलों को दूर करने के लिए 2015 में इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना हुई थी। मुझे खुशी है कि यह संस्थान अब तक दस हजार शब्दों और एक्सप्रेशन्स की डिक्सनरी तैयार कर चुका है। 23 सितंबर को साइन लैंग्वेज डे पर कई स्कूली पाठ्यक्रमों को भी साइन लैंग्वेज में लॉन्च किया गया है। साइन लैंग्वेज के तय स्टैन्डर्ड को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी काफी बल दिया गया है। साइन लैंग्वेज की जो डिक्सनरी बनी है उसके वीडियो बनाकर उसका निरंतर प्रचार किया जा रहा है। 7-8 साल पहले साइन लैंग्वेज को लेकर जो अभियान शुरू हुआ था उसका लाभ लाखों दिव्यांग भाई-बहनों को होने लगा है।
अन्वी पर हो सकता है रिसर्च
नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले गुजरात के सूरत की बिटिया अन्वी और उसके योग से मेरी मुलाकात हुई। अन्वी जन्म से ही डाउन सिन्ड्रोम से पीड़ित है। वह बचपन से ही दिल की गंभीर बीमारी से भी जूझती रही है। जब वो तीन महीने की थी तभी उसे ओपन हार्ट सर्जरी से गुजरना पड़ा। इन सब मुश्किलों के बावजूद अन्वी और उसके माता-पिता ने हार नहीं मानी।
अन्वी ने जिस तरह सीखने की इच्छाशक्ति दिखाई, अपनी प्रतिभा दिखाई, उससे उसके माता-पिता को भी बहुत हौसला मिला। उन्होंने अन्वी को योग सीखने के लिए प्रेरित किया। मुसीबत इतनी गंभीर थी कि अन्वी अपने पैरों पर खड़ी भी नहीं हो पाती थी। वो अपनी मां के साथ योग करने लगी और अब योग एक्सपर्ट हो चुकी है। अन्वी आज देशभर के कॉम्पटिशन में हिस्सा लेती है और मेडल जीतती है। योग ने अन्वी को नया जीवन दे दिया। अब उसका सेल्फ-कॉन्फिडेंस गजब का हो गया है। अन्वी और उसके योग पर रिसर्च किया जा सकता है।
पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तटीय क्षेत्र
पीएम ने कहा कि भारत का सौभाग्य है कि करीब 7500 किलोमीटर से अधिक लम्बी कोस्टलाइन के कारण हमारा समुद्र से नाता अटूट रहा है। हमारे तटीय क्षेत्र पर्यावरण से जुड़ी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। क्लाइमेट चेंज, समु्द्री इको सिस्टम के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। हमारे समुद्रतटों पर फैली गंदगी परेशान करने वाली है। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम इन चुनौतियों के लिए गंभीर प्रयास करें।
मैं देश के तटीय क्षेत्रों में कोस्टल क्लिनिंग की एक कोशिश 'स्वच्छ सागर- सुरक्षित सागर' के बारे में बात करना चाहूंगा। 5 जुलाई को शुरू हुआ यह अभियान बीते 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के दिन संपन्न हुआ। इसी दिन कोस्टल क्लीन अप डे भी था। गोवा में एक लम्बी मानव श्रृंखला बनाई गई। काकीनाड़ा में गणपति विसर्जन के दौरान लोगों को प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया। एनएसएस के लगभग 5000 युवा साथियों ने 30 टन से अधिक प्लास्टिक एकत्र किया।
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त्योहारों में लोकल सामान जरुर खरीदें
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों से हमारे त्योहारों के साथ देश का एक नया संपल्प भी जुड़ गया है। यह संकल्प है 'वोकल फोर लोकल'। आने वाले 2 अक्टूबर को बापू की जयंती के मौके पर हमें इस अभियान को और तेज करने का संकल्प लेना है। खादी, हैन्डलूम, हैन्डीक्राफ्ट, ये सारे प्रोडक्ट के साथ लोकल सामान जरूर खरीदें।
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