महाराष्ट्र में कैसे खत्म होगा सियासी ड्रामा, किसकी बनेगी सरकार; 5 पॉइंट में समझिए समीकरण

महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों 18 दिन बाद भी राजनीतिक संकट जारी है। भाजपा-शिवसेना के बीच मतभेद के चलते किसी पैदा हुआ सियासी ड्रामा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

मुंबई. महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों 18 दिन बाद भी राजनीतिक संकट जारी है। भाजपा-शिवसेना के बीच मतभेद के चलते किसी पैदा हुआ सियासी ड्रामा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने तीन दिन में तीसरी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता भेजा है। अब सबकी निगाहें एनसीपी और कांग्रेस पर टिकी हैं। भाजपा का सरकार बनाने से इनकार करने के बाद राज्यपाल ने शिवसेना को 24 घंटे का वक्त दिया था। लेकिन इस दौरान शिवसेना समर्थन पत्र पेश नहीं कर पाई। अब गेंद एनसीपी के पाले में है। 

288 सीटों वाले महाराष्ट्र में बहुमत के लिए 145 सीटें चाहिए। भाजपा के पास 105, शिवसेना के पास 56 सीटें हैं। वहीं, कांग्रेस ने 44 और एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की है। 

राज्य में बन सकती हैं ये पांच स्थितियां  

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पहली स्थिति: एनसीपी ठुकरा सकती है प्रस्ताव

एनसीपी के पास सरकार बनाने का दावा करने के लिए रात 8.30 बजे तक का वक्त है। कांग्रेस सहयोगी एनसीपी को समर्थन देने के लिए राजी हो सकती है। लेकिन उसे सरकार बनाने के लिए शिवसेना के समर्थन की भी जरूरत है। लेकिन शिवसेना साफ कर चुकी है कि वह सीएम पद पर किसी भी तरह से नहीं झुकेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि एनसीपी राज्यपाल का न्योता ठुकरा दे। 

दूसरी स्थिति: कांग्रेस को मिल सकता है न्योता
एनसीपी द्वारा सरकार बनाने का प्रस्ताव ठुकराने के बाद राज्यपाल कोश्यारी चौथी बड़ी पार्टी कांग्रेस को न्योता दे सकते हैं। लेकिन कांग्रेस के लिए भी एनसीपी वाली स्थिति सामने आएगी। कांग्रेस को शिवसेना समर्थन देगी, इसमें विचारधारा भी आड़े आएगी। ऐसे में कांग्रेस का सरकार बनाना कठिन नजर आ रहा है। 
 
तीसरी स्थिति : शिवसेना दोबारा बहुमत का दावा पेश कर सकती है
यदि कोई भी पार्टी सरकार नहीं बनाती तो राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेज सकते हैं। इसमें वे अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं। अगर कांग्रेस और एनसीपी सरकार नहीं बनाती तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। लेकिन आगे अगर शिवसेना को कांग्रेस और एनसीपी से समर्थन का आश्वासन मिलता है तो बहुमत का दावा ठोक सकती है। शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बना सकती है। 
 
चौथी स्थिति : भाजपा भी सत्ता की होड़ में आ सकती है वापस
भाजपा ने भले ही मौजूदा स्थिति में राज्य में सरकार बनाने की कोशिशों से इनकार कर दिया हो। लेकिन अभी भाजपा को पूरी तरह से शांत नहीं कहा जा सकता। भाजपा किसी और पार्टी के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा कर सकती है। 2014 में जब भाजपा अकेली लड़ी थी तो एनसीपी के साथ सरकार बनाई थी। हालांकि, बाद में शिवेसना साथ आ गई थी। 

पांचवीं स्थिती : दोबारा हो सकते हैं चुनाव
राज्यपाल अगर यह मानते हैं कि कोई पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। तो वे मध्यावधि चुनाव कराने की सिफारिश कर सकते हैं। राष्ट्रपति शासन में सभी शक्तियां राष्ट्रपति के पास होती हैं। विधानसभा का कार्य संसद करती है। किसी भी राज्य में 6 महीने या 1 साल तक राष्ट्रपति शासन लागू रह सकता है। उससे ज्यादा के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ती है। ऐसे में दोबारा चुनाव की संभावना को भी खारिज नहीं कर सकते।

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