चुनाव नतीजों के 18 दिन बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा, सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना

महाराष्ट्र में अगर एनसीपी तय वक्त में सरकार बनाने का दावा नहीं करती तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं। उधर, ब्रिक्स सम्मेलन पर निकलने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट बैठक बुलाई है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 12, 2019 8:39 AM IST / Updated: Nov 12 2019, 05:32 PM IST

नई दिल्ली. महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लग गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति शासन की मंजूरी दे दी है। इससे पहले राज्यपाल ने केंद्र सरकार से भी सलाह मशविरा किया था। इसके बाद ब्रिक्स सम्मेलन के लिए निकलने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट बैठक बुलाई। इसमें राष्ट्रपति शासन पर मुहर लगी।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार को एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था। एनसीपी को सरकार का दावा करने के लिए रात 8.30 बजे तक का वक्त दिया गया। लेकिन एनसीपी ने सरकार का दावा करने के लिए तीन दिन वक्त मांगा। इसके बाद राज्यपाल ने केंद्र सरकार से राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी थी।

राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजी थी रिपोर्ट
राजभवन द्वारा जारी बयान के मुताबिक, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को यह स्पष्ट तौर पर लग गया कि महाराष्ट्र में सरकार को लेकर स्थिति साफ नहीं है। इसलिए संविधान के मुताबिक, राज्यपाल ने रिपोर्ट सौंपी और आर्टिकल 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की। 

सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना
शिवसेना राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। शिवसेना ने इस बारे में कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल से राय ली है। शिवसेना का कहना है कि उसे सरकार का दावा करने के लिए भाजपा से कम वक्त दिया गया। दरअसल, शिवसेना ने समर्थन का पत्र पेश करने के लिए 48 घंटे का वक्त मांगा था, राज्यपाल ने समय देने से इनकार दिया। 

कांग्रेस-एनसीपी ने अटकाया मामला
शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने की कोशिश में थी। लेकिन शिवसेना को समर्थन देने के मामले में कांग्रेस के नेता एकराय नहीं हो पाई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से फोन पर भी बात की। दो दिन की बैठकों के बाद भी कांग्रेस-एनसीपी एक दूसरे के पाले में गेंद फेंक रही है। कांग्रेस का कहना है कि एनसीपी नेताओं से बातचीत के बाद ही कोई फैसला होगा। वहीं, एनसीपी का कहना है कि कांग्रेस की ओर से अभी तक समर्थन पत्र नहीं मिला है। हम उनके साथ ही आगे की रणनीति पर फैसला करेंगे।

महाराष्ट्र की स्थिति
288 सीटों वाले महाराष्ट्र में बहुमत के लिए 145 सीटें चाहिए। भाजपा के पास 105, शिवसेना के पास 56 सीटें हैं। वहीं, कांग्रेस ने 44 और एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की है।

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