राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 जून की शाम को कानपुर पहुंचे। दिल्ली से कानपुर का सफर उन्होंने प्रेसिडेंशियल सैलून में किया। करीब 18 साल बाद किसी राष्ट्रपति ने इस सैलून का इस्तेमाल किया है।
नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रपति अगर कहीं ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं तो उनके लिए एक खास प्रेसिडेंशियल सैलून है। भारतीय रेलवे की यह विशेष ट्रेन केवल देश के राष्ट्रपति के लिए ही रिजर्व रहती है। शुक्रवार को प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद ने प्रेसिडेंशियल सैलून का इस्तेमाल किया तो एक बार फिर यह स्पेशल ट्रेन चर्चा में है। भारत के राष्ट्रपति की खास ट्रेन प्रेसिडेंशियल सैलून इस बार 18 साल बाद निकला है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पहले करीब 18 साल पूर्व तत्कालीन राष्ट्रपति डाॅ.एपीजे अब्दुल कलाम ने इसमें सफर किया था। अलग-अलग राष्ट्रपतियों को इस ट्रेन ने 87 बार सफर कराया है।
यह है प्रेसिडेंशियल ट्रेन की खासियत
भारत के राष्ट्रपति की यह प्रेसिडेंशियल सैलून पूरी तरह से बुलेट प्रूफ है। इसमें सुरक्षा के अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। सैलून पब्लिक एडे्रस सिस्टम, जीपीआरएस सहित अन्य तकनीकी उपकरणों से लैस है।
प्रेसिडेंशियल सैलून के अंदर आपको एक आलीशान बंगले का लुक मिलेगा। इसमें डाइनिंग रूम, विजिटिंग रूम, लाउंज और कॉन्फरेंस रूम भी हैं।
प्रेसिडेंशियल सैलून से पहली बार पहले राष्ट्रपति डाॅ.राजेंद्र प्रसाद ने सफर किया था।
डाॅ.राजेंद्र प्रसाद के बाद डाॅ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डाॅ. जाकिर हुसैन, वीवी गिरी और डाॅ.एन संजीवा रेड्डी ने भी प्रेसिडेंशियल सैलून से सफर किया है।
करीब 18 साल पहले 30 मई 2003 को तत्कालीन राष्ट्रपति डाॅ.एपीजे अब्दुल कलाम ने भी इसका इस्तेमाल किया था। वह प्रेसिडेंशियल सैलून से पटना गए थे।
कानपुर प्रेसिडेंशियल ट्रेन पहली बार पहुंची है। तीन दिन तक सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर राष्ट्रपति का प्रेसिडेंशियल ट्रेन खड़ा रहेगा। उसकी सुरक्षा में राष्ट्रपति की सुरक्षा में आई विशेष टीम हिफाजत करेगी। साथ ही अन्य फोर्स भी तैनात रहेगा।