National Girl Child Day: पीएम मोदी, स्मृति ईरानी और अमित शाह ने किया tweet, बताया गौरव और स्वामिमान का प्रतीक

देश भर में आज राष्ट्रीय बालिका दिवस(National Girl Child Day) के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और गृहमंत्री अमित शाह ने tweet किया।

Asianet News Hindi | Published : Jan 24, 2022 9:54 AM IST

नई दिल्ली. देश भर में आज राष्ट्रीय बालिका दिवस(National Girl Child Day) के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने tweet किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने tweet किया- हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने और बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए चल रहे प्रयासों को और मजबूत करने का अवसर है। यह विभिन्न क्षेत्रों में बालिकाओं की अनुकरणीय उपलब्धियों का जश्न मनाने का भी दिन है।

अमित शाह और स्मृति ईरानी ने किया tweet
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी(Smriti Z Irani) ने tweet किया-शिक्षित करें, प्रोत्साहित करें, सशक्त करें! आज का दिन हमारी लड़कियों को समान अवसर प्रदान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का दिन है। राष्ट्रीय बालिका दिवस पर, जैसा कि हम अपनी बेटियों की उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं, हम एक समावेशी और समान समाज के निर्माण के लिए लिंग भेद को पाटने का संकल्प लेते हैं।

वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने tweet करते हुए लिखा-“प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने Women Development की सोच को Women-Led Development के संकल्प में बदला और अवसरों के द्वार खोले। आज देश की बेटियां हर क्षेत्र में भारत का नाम रोशन कर रही हैं। 'राष्ट्रीय बालिका दिवस' पर मैं देश की गौरव भारत की हर बेटी को शुभकामनाएं देता हूं। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' जैसी ढेरों योजनाओं से पूरे देश में बेटियों को गौरव और स्वाभिमान के प्रतीक के रूप में अपनाने की अपील की, जिसके परिणामस्वरूप ये जन अभियान में बदला और लिंगानुपात में क्रांतिकारी सुधार आए।”

देशभर में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन
हर वर्ष 24 जनवरी को देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है भारत में कन्याओं को समर्थन और अवसर प्रदान करना। इसके तहत कन्याओं के अधिकारों, शिक्षा के महत्त्व, उनके स्वास्थ्य और पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का लक्ष्य है। साथ ही समाज में लड़कियों को प्रोत्साहन देना है, ताकि समाज में वे बेहतर जीवन जी सकें। लैंगिक असमानता प्रमुख समस्या है, जिसका सामना लड़कियों या महिलाओं को जीवन भर करना पड़ता है। राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरूआत सबसे पहले 2008 में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने की थी।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम
गत वर्षों में लड़कियों के हालात सुधारने के लिये भारत सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। सरकार ने कई अभियानों और कार्यक्रमों की शुरुआत की है-बेटियों को बचाओ, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, सीबीएसई उड़ान योजना, लड़कियों के लिये मुफ्त या राजसहायता प्राप्त शिक्षा, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में महिलाओं के लिये आरक्षण, माध्यमिक शिक्षा के लिये लड़कियों को प्रेरित करने की राष्ट्रीय योजना आदि।

लिंग अनुपात में बड़ी गिरावट थी
वर्ष 2011 के जनसंख्या आंकड़ें आंखें खोल देने वाले थे। इस दिशा में फौरन कार्रवाई करने की जरूरत थी, क्योंकि आंकड़ों से पता चलता था कि बच्चियों की उपेक्षा तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 1961 से बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) में तेजी से गिरावट आ रही थी, जो 1961 में 976 से गिरकर 2001 में 927 और 2011 में 918 हो गई थी। यह बहुत गंभीर समस्या थी, क्योंकि इससे पता चलता था कि हमारे समाज में महिलाओं की क्या स्थिति है। इससे यह भी संकेत मिल रहे थे कि लड़कियां ज्यादा जी नहीं पातीं। हालांकि अब सोच बदल रही है। राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय लैंगिक अनुपात 2014-15 के 918 से बढ़कर 2020-21 में 937 हो गया। 

2015 में हरियाणा के पानीपत हुई बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत
लड़कियों और महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़े मामलों को मद्देनजर रखते हुये प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारंभ किया था। शुरुआत में यह योजना 2014-15 (चरण-1) के दौरान 100 जिलों में शुरू की गई और 2015-16 (चरण-2) में इसका अन्य 61 जिलों में विस्तार किया गया।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का आमूल लक्ष्य है कन्याओं की महत्ता जानना और उनकी शिक्षा।

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