PM मोदी बोले-बद्री विशाल के दर्शन करके जीवन धन्य हुआ, माणा गांव में ताजा हुआ 25 साल पुराना दिलचस्प किस्सा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छठवीं बार आज (21 अक्टूबर) उत्तराखंड के हिमालय में मौजूद केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन करने पहुंचे। मोदी ने सबसे पहले सुबह श्री केदारनाथ मंदिर में दर्शन और पूजा की। इसके बाद बद्रीनाथ मंदिर गए।

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) छठवीं बार आज (21 अक्टूबर) उत्तराखंड के हिमालय में मौजूद केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन करने पहुंचे। मोदी ने सबसे पहले सुबह श्री केदारनाथ मंदिर में दर्शन और पूजा की। यहां प्रधानमंत्री केदारनाथ रोपवे परियोजना की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने मंदाकिनी आस्था पथ और सरस्वती आस्था पथ के साथ-साथ वहां चल रहे विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा भी। इसके बाद मोदी बद्रीनाथ पहुंचे। केदारनाथ और बद्रीनाथ सबसे महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों में से एक हैं। यह क्षेत्र एक श्रद्धा वाले एक सिख तीर्थ स्थल - हेमकुंड साहिब के लिए भी जाना जाता है। इन जगहों पर शुरू हो रही कनेक्टिविटी परियोजनाओं में से धार्मिक महत्व के स्थानों तक पहुंच को आसान बनाने और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए प्रधानमंत्री के कमिटमेंट को दिखाती है।

बद्रीनाथ में बोले PM मोदी
आज बाबा केदार और बद्री विशाल जी के दर्शन करके मन प्रसन्न हो गया, जीवन धन्य हो गया। माणा गांव, भारत के अंतिम गांव के रूप में जाना जाता है। लेकिन मेरे लिए सीमा पर बसा हर गांव, देश का पहला गांव है। 21वीं सदी के विकसित भारत के निर्माण के दो प्रमुख स्तंभ हैं। पहला- अपनी विरासत पर गर्व, दूसरा- विकास के लिए हर संभव प्रयास। देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर मैंने लाल किले पर एक आह्वान किया, ये आह्वान हैं गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्ति का। क्योंकि आजादी के इतने वर्षों बाद भी, हमारे देश को गुलामी की मानसिकता ने ऐसा जकड़ा हुआ है कि प्रगति का कुछ कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है। विदेशों में वहां की संस्कृति से जुड़े स्थानों की ये लोग तारीफ करते नहीं थकते थे, लेकिन भारत में इस प्रकार के काम को हेय दृष्टि से देखा जाता था। आस्था के ये केंद्र सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि हमारे लिए प्राणवायु की तरह हैं। वो हमारे लिए ऐसे शक्तिपुंज हैं, जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हमें जीवंत बनाए रखते हैं। 

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उत्तराखंड को बहुत-बहुत बधाई
मोदी ने कहा-विकास के इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए, उत्तराखंड को और देश-विदेश के हर श्रद्धालु को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। गुरुओं की कृपा बनी रहे, बाबा केदार की कृपा बनी रहे, बद्री विशाल की कृपा बनी रहे, हमारे सभी श्रमिक साथियों को भी शक्ति मिले, यही प्रार्थना करते हैं। अयोध्या में इतना भव्य राममंदिर बन रहा है, गुजरात के पावागढ़ में मां कालिका के मंदिर से लेकर विन्ध्याचल देवी के कॉरिडोर तक, भारत अपने सांस्कृतिक उत्थान का आह्वान कर रहा है। पहले जिन इलाकों को देश की सीमाओं का अंत मानकर नजरअंदाज किया जाता था, हमने वहां से समृद्धि का आरंभ मानकर काम शुरू किया। पहले देश का आखिरी गांव जानकर जिसकी उपेक्षा की जाती थी,  हमने वहां के लोगों की अपेक्षाओं पर फोकस किया। पहले देश के विकास में जिनके योगदान को महत्व नहीं दिया गया, हमने उन्हीं को साथ लेकर प्रगति के महान लक्ष्यों की ओर बढ़ने का संकल्प लिया। एक संवेदनशील सरकार, गरीबों का दुख-दर्द समझने वाली सरकार कैसे काम करती है,  आज देश के हर कोने में लोग अनुभव कर रहे हैं। 

शायद कभी वैक्सीन नहीं आती
मोदी ने कहा-कोराना काल में जब वैक्सीन लगवाने की बारी आई, अगर पहले की सरकारें होती, तो शायद अभी तक वैक्सीन यहां तक नहीं आता। हिमालय की हरी भरी पहाड़ियों पर रेल गाड़ी की आवाज उत्तराखंड के विकास की नई गाथा लिखेगी। देहरादून एयरपोर्ट भी अब नए अवतार में सेवा दे रहा है।

मोदी ने सुनाई माणा गांव का किस्सा
केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन करने के बाद मोदी माणा पहुंचे। यह  चीन की सीमा पर उत्तराखंड का आखिरी गांव है। यहां मोदी ने एक जनसभा संबोधित की। मोदी ने कहा कि बाबा केदार और बद्री विशाल जी के दर्शन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन धन्य हुआ। मन प्रसन्न हुआ। ये पल चिरंजीवी हो गए। इस मौके पर मोदी ने माणा गांव से जुड़ी एक कहानी भी सुनाई। मोदी ने बताया कि 25 साल पहले वो उत्तराखंड में भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में काम करते थे। तब उन्हें कोई नहीं जानता था। तब उन्होंने माणा में उत्तराखंड भाजपा की कार्यसमिति की बैठक बुलाई थी। इस पर कार्यकर्ता नाराज हुए थे कि माणा तक बहुत दिक्कतों में जाना होगा, वो बहुत दूर है।

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ये हैं कुछ मेगा प्रोजेक्ट्स, जो केदारनाथ-बद्रीनाथ को मिले
रिवरफ्रंट के विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा। माणा गांव में सड़क और रोपवे परियोजनाओं का शिलान्यास। अराइवल यानी आगमन प्लाजा और झीलों के विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा।  केदारनाथ रोपवे लगभग 9.7 किलोमीटर लंबा होगा। यह गौरीकुंड को केदारनाथ से जोड़ेगा, जिससे दोनों स्थानों के बीच यात्रा का समय वर्तमान में 6-7 घंटे से कम होकर लगभग 30 मिनट का रह जाएगा। 

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हेमकुंड रोपवे गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ेगा। यह लगभग 12.4 किलोमीटर लंबा होगा और यात्रा समय को एक दिन से कम करके केवल 45 मिनट तक सीमित कर देगा। यह रोपवे घांघरिया को भी जोड़ेगा, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है। इस रोपवे को लगभग 2430 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जाएगा। 

करीब 1000 करोड़ रुपये की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का शिलान्यास। दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं-माणा से माणा पास (एनएच - 07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) तक-हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों में हर मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करने की दिशा में एक और कदम साबित होंगी। 

 केदारनाथ और बद्रीनाथ सबसे महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों में से एक हैं। यह क्षेत्र एक श्रद्धा वाले एक सिख तीर्थ स्थल - हेमकुंड साहिब के लिए भी जाना जाता है। इन जगहों पर शुरू हो रही कनेक्टिविटी परियोजनाओं में से धार्मिक महत्व के स्थानों तक पहुंच को आसान बनाने और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए प्रधानमंत्री के कमिटमेंट को दिखाती है।

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