10वहीं पुण्यतिथि पर हरमोहन यादव को याद करेंगे PM, सिख विरोधी दंगों के दौरान वीरता के लिए मिला था शौर्य चक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सोमवार को हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। हरमोहन को 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान वीरता दिखाने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सोमवार शाम 4:30 बजे दिवंगत हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करेंगे। इस दौरान पीएम हरमोहन यादव की वीरता और जन कल्याण के लिए उनके द्वारा किए गए कामों को याद करेंगे। हरमोहन सिंह यादव समुदाय के बड़े नेता थे। वे लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे। उनके बेटे सुखराम सिंह यादव भी पूर्व राज्यसभा सांसद थे। 

हरमोहन सिंह यादव का जन्म 18 अक्टूबर 1921 को कानपुर के मेहरबन सिंह का पूर्वा गांव में हुआ था। 31 साल की उम्र में उन्होंने राजनीति में कदम रखा। वह 1952 में ग्राम प्रधान बने। उन्होंने 1970 से 1990 तक यूपी में एमएलसी और विधायक के रूप में काम किया। 1991 में वे पहली बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुने गए। उन्होंने कई संसदीय समितियों में सदस्य के रूप में काम किया। 1997 में उन्हें दूसरी बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने 'अखिल भारतीय यादव महासभा' के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।

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हरमोहन यादव के चौधरी चरण सिंह और राम मनोहर लोहिया के साथ घनिष्ठ संबंध थे। उन्होंने आपातकाल का विरोध किया था और किसानों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए जेल गए थे। हरमोहन सिंह समाजवादी पार्टी के एक महत्वपूर्ण नेता थे। मुलायम सिंह यादव के साथ उनके बहुत करीबी संबंध थे। चौधरी चरण सिंह की मृत्यु के बाद हरमोहन ने यादव महासभा को प्रस्ताव दिया कि मुलायम सिंह यादव को अब उनका नेता बनाना चाहिए। इससे मुलायम सिंह यादव के कद में जबरदस्त उछाल आया था। अपने बेटे सुखराम सिंह की मदद से हरमोहन यादव ने कानपुर और उसके आसपास कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की। 25 जुलाई 2012 को हरमोहन सिंह यादव का निधन हो गया।

1984 के सिख विरोधी दंगों में हमलावरों को खदेड़ा था
1984 के सिख विरोधी दंगों के छह साल पहले हरमोहन सिंह यादव और उनका परिवार एक नए स्थान पर चले गए थे। वहां अधिकांश आबादी सिख थी। यादव के सिखों के साथ अच्छे संबंध थे। वह कभी-कभार उनकी मदद करते थे। दंगों के दौरान यादव अपने बेटे सुखराम के साथ घर पर थे। उनके पास राइफल, कार्बाइन और बंदूकें थीं। जब गुस्साई भीड़ उनके इलाके के पास पहुंची तो वे छत पर चले गए और हमलावरों की ओर गोली चला दी। यह देख हमलावर भाग गए थे। 

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उन्होंने स्थानीय सिखों को अपने घर में शरण दिया। यादव परिवार ने उन्हें हमले से तब तक बचाया जब तक हमलावरों को तितर-बितर या गिरफ्तार नहीं कर लिया गया। सिखों के जीवन की रक्षा के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमन ने 1991 में यादव को शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। यह वीरता, साहसी कार्रवाई या आत्म-बलिदान के लिए दिया जाने वाला एक भारतीय सैन्य सम्मान है।

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