प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 28 अक्टूबर को 18वें भारत-आसियान सम्मेलन (18th ASEAN-India Summit) में शामिल हुए। इसमें उन्होंने कोविड 19 और व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा की।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 अक्टूबर को 18वें भारत-आसियान सम्मेलन (18th ASEAN-India Summit) में शामिल हुए। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये इसमें भाग लिया। यह सम्मेलन कोविड 19 से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं और समाधान, व्यापार और वाणिज्यिक कनेक्टिविटी, शिक्षा और संस्कृति सभी मुद्दों पर चर्चा करने का एक प्रमुख मंच है। इस साल यह सम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि हिंद-प्रशांत महासागर में भारत लगातार चीन की घेराबंदी कर रहा है। दोनों देशों में लंबे समय से तनाव चल रहा है। इससे पहले 27 अक्टूबर को मोदी 16वें ईस्ट एशिया सम्मेलन (16th East Asia Summit) में शामिल हुए।
भारत-आशियान सम्मेलन में मोदी ने कहा
वर्ष 2022 में हमारी पार्टनरशिप के 30 वर्ष पूरे होंगे। भारत भी अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करेगा। मुझे बहुत हर्ष है कि इस महत्वपूर्ण पड़ाव को हम 'आसियान-भारत मित्रता वर्ष' के रूप में मनाएंगे। इतिहास गवाह है कि भारत और आसियान के बीच हजारों साल से जीवंत संबंध रहे हैं। इनकी झलक हमारे साझा मूल्य, परम्पराएं, भाषाएं, ग्रन्थ, वास्तुकला, संस्कृति, खान-पान, दिखाते हैं। आसियान की unity और centrality भारत के लिए सदैव एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता रही है। कोविड 19 महामारी के कारण हम सभी को अनेक चुनौतियों से जूझना पड़ा। लेकिन ये चुनौतीपूर्ण समय भारत आशियान मित्रता की कसौटी भी रहा।
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ईस्ट एशिया सम्मेलन में मोदी ने कहा
मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कहा कि भारत सभी पक्षों को साझा मूल्यों का सम्मान करता है। अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थ और कानून के अलावा सभी देशों की क्षेत्रीय एकता और सार्वभौमिकता(Sovereignty) यानी स्वतंत्र राज्य के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी ने एक tweet किया था। इसमें लिखा-एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन आसियान की केंद्रीयता का समर्थन की बात दुहराई है।
अब जानें ये: क्या हैं आसियान देश
आसियान में म्यांमार, बुर्नेई, थाईलैंड, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, सिंगापुर, कम्पूचिया, वियतनाम, फिलीपींस आदि देश शामिल हैं। आसियान क्षेत्र आसियान क्षेत्र दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया है।
18वां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन
18वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी की स्थिति की समीक्षा की जाएगी और कोविड-19 और स्वास्थ्य, व्यापार और वाणिज्य, कनेक्टीविटी और शिक्षा और संस्कृति सहित प्रमुख क्षेत्रों में हुई प्रगति का जायजा लिया जाएगा। महामारी के बाद अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर भी चर्चा की जाएगी। आसियान-भारत शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है और यह भारत और आसियान को उच्चतम स्तर पर जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष नवंबर में वर्चुअली आयोजित 17वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। 18वां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन नौवां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन होगा जिसमें वह भाग लेंगे।
2022 में भारत को इसमें 30 साल पूरे होंगे
आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी साझा भौगोलिक, ऐतिहासिक और सामाजिक विकास के संबंधों की मजबूत नींव पर खड़ी है। आसियान हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडो-पैसिफिक की हमारी व्यापक परिकल्पना का केन्द्र है। वर्ष 2022 में आसियान-भारत के संबंधों के 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं। भारत और आसियान में अनेक संवाद तंत्र हैं जो नियमित रूप से मिलते हैं, जिसमें एक शिखर सम्मेलन, मंत्रिस्तरीय बैठकें और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठकें शामिल हैं।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अगस्त 2021 में आसियान-भारत विदेश मंत्रियों की बैठक और ईएएस विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सितंबर 2021 में वर्चुअली आयोजित आसियान आर्थिक मंत्रियों+भारत परामर्श में भाग लिया, जहां मंत्रियों ने आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।