WATCH VIDEO: कैसे सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेसी को माना फंडामेंटल राइट- क्यों बना DPDP बिल का प्रावधान? राजीव चंद्रशेखर ने बताई पूरी कहानी...

केंद्रीय राजयमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया पर 24 अगस्त की एक उपलब्धि शेयर की और बताया कि कैसे 10 साल पहले उनकी पहल के कारण सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट माना।

Rajeev Chandrasekhar Post. केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया पर अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर 24 अगस्त 2017 के ऐतिहासिक दिन को याद किया है। अब से करीब 6 साल पहले 24 अगस्त को ही सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेसी को मौलिक अधिकार माना था। इसके बाद केंद्र की मोदी सरकार ने आधार कार्ड के डाटा उपयोग को लेकर नियम बनाए और लोगों की जानकारियों को सुरक्षित करने का काम किया गया। इसी के मद्देजनर हाल ही संसद के मॉनसून सत्र में डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल-2023 पास किया गया।

10 साल पहले हुई इसकी शुरूआत- राजीव चंद्रशेखर

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केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि यूपीए कार्यकाल के दौरान आधार कार्ड का डाटा बहुत ही आसानी से किसी को भी मिल जाता था। उन्होंने बताया कि वे एक दिन दिल्ली के पालिका बाजार गए और 50 रुपए में 4-5 आधार कार्ड ले आया और संसद में इसे दिखाकर कहा कि आधार कार्ड के डाटा का मिसयूज करना कितना आसान है। लेकिन उस वक्त की सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि वे इसकी गंभीरता को नहीं समझ पाए।

 

 

राजीव चंद्रशेखर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने आगे बताया कि जब सरकार ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने प्राइवेट बिल के तौर पर इसे संसद में पेश किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद कुछ लोगों के साथ मिलकर हमने सुप्रीम कोर्ट में यह मामला दायर किया। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की गंभीरता को समझा और कहा कि प्राइवेसी एक मौलिक अधिकार ही, जिसकी हर हाल में रक्षा की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद केंद्र की मोदी सरकार ने इस बड़ा स्टेप लिया और डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल का प्रारूप बनाया गया।

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