बीच में रोका गया शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का मार्च; शाह से बिना इजाजत मिलने जा रहे थे

Published : Feb 16, 2020, 02:36 PM ISTUpdated : Feb 16, 2020, 05:18 PM IST
बीच में रोका गया शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का मार्च; शाह से बिना इजाजत मिलने जा रहे थे

सार

नागरिकता कानून के विरोध में शाहीन बाग में विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने रविवार को मार्च निकाला। ये मार्च शाहीन बाग से लेकर गृह मंत्रालय तक जाएगा। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने जा रहे हैं। 

नई दिल्ली. नागरिकता कानून के विरोध में शाहीन बाग में विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने रविवार को मार्च निकाला। ये मार्च शाहीन बाग से लेकर गृह मंत्रालय तक जाना था। हालांकि, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बीच में ही रोक दिया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने जा रहे हैं। दरअसल, अमित शाह ने शुक्रवार को एक इंटरव्यू में कहा था कि वे नागरिकता कानून पर जिसे भी कोई संदेह है, उनसे बात करने के लिए तैयार हैं।

शाह के इस ऐलान के बाद शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने उनसे मुलाकात करने का फैसला किया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने बताया कि अमित शाह से सब लोग मुलाकात करेंगे, इसमें कोई प्रतिनिधिमंडल नहीं होगा, बल्कि बूढ़े, जवान, बच्चे सब शामिल होंगे। 

प्रदर्शनकारियों के पास नहीं है अपॉइंटमेंट
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने गृह मंत्रालय से अपॉइंटमेंट नहीं लिया है। डीएसपी आरपी मीना ने कहा, प्रदर्शनकारी गृह मंत्रालय तक मार्च निकाल कर गृह मंत्री से मुलाकात करना चाहते हैं। हालांकि, हमने उन्हें बता दिया है कि उनके पास अपॉइंटमेंट नहीं है। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत भी की।

15 दिसंबर से ही विरोध प्रदर्शन हो रहा है
शाहीन बाग में 15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं। दिल्ली चुनाव में शाहीन बाग का मुद्दा जोरों पर था। यहां तक की गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 8 फरवरी को मतदान के दिन ईवीएम की बटन इतनी तेजी से दबाना की करंट शाहीन बाग में लगे।

क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता संशोधन विधेयक को 10 दिसंबर को लोकसभा ने पारित किया। इसके बाद राज्य सभा में 11 दिसंबर को पारित हुआ। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 12 दिसंबर को यह विधेयक कानून बन गया। इस कानून के मुताबिक, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता के लिए संबंधित शख्स 6 साल पहले भारत आया हो। इन देशों के छह धर्म के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुला। ये 6 धर्म हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी हैं।
 

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