राजस्थान : विधायक दल की बैठक में गहलोत ने कहा, धरना देने के लिए प्रधानमंत्री आवास जाना पड़े तो जाएंगे

राजस्थान में सियासी टकराव के बीच सीएम गहलोत ने विधायकों से कहा, अगर धरना देने के लिए प्रधानमंत्री निवास जाना पड़े तो दिल्ली भी जाएंगे। उन्होंने विधायकों से कहा, आप लोग तैयार रहिए। अगर 21 दिन तक बैठना पड़े तो यहां रहेंगे। राष्ट्रपति भवन जाना पड़े तो राष्ट्रपति के पास जाएंगे या फिर प्रधानमंत्री निवास के बाहर दिल्ली में धरना देने जाना पड़े तो प्रधानमंत्री निवास दिल्ली भी जाएंगे।

 

Asianet News Hindi | Published : Jul 25, 2020 2:12 AM IST / Updated: Jul 25 2020, 04:40 PM IST

जयपुर. राजस्थान में सियासी टकराव के बीच सीएम गहलोत ने विधायकों से कहा, अगर धरना देने के लिए प्रधानमंत्री निवास जाना पड़े तो दिल्ली भी जाएंगे। उन्होंने विधायकों से कहा, आप लोग तैयार रहिए। अगर 21 दिन तक बैठना पड़े तो यहां रहेंगे। राष्ट्रपति भवन जाना पड़े तो राष्ट्रपति के पास जाएंगे या फिर प्रधानमंत्री निवास के बाहर दिल्ली में धरना देने जाना पड़े तो प्रधानमंत्री निवास दिल्ली भी जाएंगे।

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- शुक्रवार को अशोक गहलोत ने विधानसभा सत्र बुलाए जाने के लिए प्रस्ताव भेजा था। इस पर राज्यपाल मिश्र ने 6 बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कराई थी। वहीं, गहलोत ने शनिवार सुबह विधायक दल की बैठक बुलाई। इसके बाद नया प्रस्ताव देने पर फैसला हुआ। उधर, कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ पूरे राज्य में प्रदर्शन किया। 

भाजपा विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया है। दिलावर ने यह याचिका पिछले साल बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में मर्जर के खिलाफ दायर की गई है। इस पर सोमवार को सुनवाई होगी। याचिका में सभी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है। 

भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करते कांग्रेसी कार्यकर्ता

राजस्थान में अब मुख्‍यमंत्री बनाम राज्यपाल हुआ

इससे पहले राजस्‍थान में सियासी संकट शुक्रवार को गहलोत VS पायलट से खिसकरकर मुख्‍यमंत्री बनाम राज्यपाल नजर आया। विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्‍यपाल कलराज मिश्र आमने सामने आ गए। जहां, गहलोत ने राजभवन में विधायकों की परेड के बाद कैबिनेट बैठक बुलाई तो राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर गहलोत सरकार से 6 बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा। 

राजभवन से शुक्रवार शाम सरकार के पास एक पत्र पहुंचा। इसमें राज्यपाल ने राज्‍य सरकार से कहा है कि 'कोई भी संवैधानिक दायरे से ऊपर नहीं है और दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए।' इसमें राज्यपाल की तरफ 6 बिंदुओं पर सफाई मांगी गई है...

पहला- अगर उसके पास पहले से बहुमत है तो विधानसभा सत्र बुलाकर बहुमत परीक्षण क्‍यों चाहती है?
दूसरा- कैबिनेट नोट में विधानसभा सत्र की कोई तारीख नहीं बताई गई है, न ही सरकार ने सत्र बुलाने की वजह का जिक्र किया है। इसे कैबिनेट से भी मंजूरी नहीं मिली है। 
तीसरा- सामान्‍य परिस्थितियों में 21 दिन का नोटिस देना अनिवार्य होता है।
चौथा- सभी विधायकों की स्‍वतंत्रता और आने-जाने की आजादी सुनिश्चित करें।
पांचवां- राज्‍य में कोरोना महामारी को देखते हुए विधानसभा सत्र कैसे बुलाया जा सकता है?
छठवां- सरकार अपनी हर कार्रवाई में संवैधानिक मर्यादा और जरूरी प्रक्रिया का पालन जरूर करे।

बहुमत साबित करना चाहते हैं गहलोत
सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायकों के नाराज होने के बाद गहलोत सरकार राजनीतिक संकट झेल रही है। गहलोत सरकार चाहती है कि राज्यपाल विधानसभा सत्र बुलाएं। इसमें वे बहुमत साबित कर सकें। सरकार ने इसके लिए राज्यपाल को एक पत्र लिखा था। इसका जवाब ना मिलने पर गहलोत समर्थक विधायकों ने राजभवन के सामने करीब पांच घंटे धरना दिया। उधर, राज्यपाल ने कहा, वे संवैधानिक प्रावधानों के हिसाब से काम करेंगे।

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