राजस्थान: हाईकोर्ट से पायलट खेमे को राहत, 24 जुलाई को आएगा फैसला, तब तक स्पीकर नहीं कर सकते कार्रवाई

राजस्थान में स्पीकर के नोटिस मामले में हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। कोर्ट इस मामले में 24 जुलाई को फैसला सुनाएगा। अब स्पीकर 24 जुलाई तक बागी विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे।

Asianet News Hindi | Published : Jul 21, 2020 4:55 AM IST / Updated: Jul 21 2020, 03:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान में स्पीकर के नोटिस मामले में हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। कोर्ट इस मामले में 24 जुलाई को फैसला सुनाएगा। अब स्पीकर 24 जुलाई तक बागी विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। इससे पहले सचिन पायलट खेमे के विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधानसभा स्पीकर ने विधायकों को जवाब देने के लिए सिर्फ तीन दिन का वक्त दिया था। कोई विधायक पार्टी ना बदल पाए, जब इसके लिए दलबदल कानून है, तो विधानसभा स्पीकर इतनी जल्दी में क्यों थे।

याचिका राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को दल बदल कानून के तहत भेजे गए नोटिस के खिलाफ लगाई गई है। नोटिस में पूछा गया है कि क्यों इन विधायकों की सदस्यता रद्द ना की जाए?

याचिका प्री मैच्योर, इसे खारिज करें
स्पीकर की ओर से पेश वकील और कांग्रेस नेता मनु सिंघवी ने हाईकोर्ट में कहा, पायलट खेमे की याचिका प्री मैच्योर है। इसे खारिज किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा, स्पीकर के नोटिस को कुछ ही आधार के तहत चुनौती दी जा सकती है, जिनका इस याचिका में जिक्र नहीं है।

सचिन पायलट खेमे की कोर्ट में बहस पूरी
विधायनसभा अध्यक्ष जोशी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191 की दसवीं अनुसूची के एवं राजस्थान विधानसभा सदस्य नियम 1989 के तहत ये नोटिस जारी किया है। इस नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट के वकील की ओर से बहस पूरी हो गई है। सचिन के अधिवक्ता हरीश साल्वी ने दलील देते हुए कोर्ट में कहा था कि बागी विधायकों ने अभी तक पार्टी के खिलाफ ना कोई बयान दिया और ना ही ऐसा कोई काम किया, जिससे यह साबित हो सके कि वे कोई षड्यंत्र कर रहे हों। व्यक्ति विशेष पर की गई टिप्पणी को पार्टी से नहीं जोड़ा जा सकता। साल्वी ने कहा था, यह नोटिस अभिव्यक्ति की आजादी का भी उल्लंघन करता है। 

क्या कहता है कानून?  
1985  में यह कानून भारतीय संसद में किया गया था। इसमें दलबदल करने वाले विधायकों की सदस्यता निरस्त करने का प्रावधान है। इसके मुताबिक, विधानसभा के अध्यक्ष के पास विशेष अधिकार एवं शक्तियां होती हैं। इसके अलावा संसदीय परंपराओं का संरक्षण करना भी उनका कर्तव्य होता है। दल-बदल कानून में विधानसभा अध्यक्ष की स्थिति जज के समान हो जाती है। 
 
नाराज हैं पायलट, 18 विधायकों के साथ हरियाणा में डाला डेरा
सचिन पायलट पिछले कुछ दिनों से अशोक गहलोत सरकार और कांग्रेस आलाकमान से नाराज चल रहे हैं। फिलहाल उन्होंने 18 बागी विधायकों समेत हरियाणा में डेरा डाला हुआ है। उधर, कांग्रेस ने पायलट पर भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, विधायक दल की बैठक में शामिल ना होने के चलते उन्हें डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया है। वहीं, स्पीकर ने उनके खिलाफ नोटिस जारी किया है।

 

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