केंद्र सरकार ने गांधी परिवार यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया है। हालांकि, तीनों के पास Z+ सुरक्षा बनी रहेगी। भाजपा सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने गांधी परिवार यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया है। हालांकि, तीनों के पास Z+ सुरक्षा बनी रहेगी। भाजपा सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि एसपीजी हटाकर सरकार गांधी परिवार को परेशान करना चाहती है। यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है।
अगस्त में केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सुरक्षा में तैनात स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) को हटा दिया था। गांधी परिवार से एसपीजी हटाने के बाद एक बार चर्चा फिर शुरू हो गई है। दरअसल, गांधी परिवार राजीव गांधी को खोकर एसपीजी सुरक्षा हटाने का खामियाजा उठा चुका है।
क्या है एसपीजी?
एसपीजी एक विशेष सुरक्षा बल है। ये भारत के प्रधानमंत्री, उनके परिवार, पूर्व पीएम और उनके परिवार को सुरक्षा देता है। यह सीधे तौर पर केंद्र सरकार के मंत्रिमंडलीय सचिवालय के अधीन है। एसपीजी देश की सबसे आधुनिक सुरक्षा बालों में एक है। यह सुरक्षाबल आधुनिक हथियारों से लैस होता है। केंद्रीय और पुलिस बल से लंबी-चौड़ी ट्रेनिंग और खास चयन प्रक्रिया के बाद इसमें जवानों का चयन होता है।
एसपीजी का कब हुआ गठन?
इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1985 में एसपीजी की शुरुआत की गई। 1998 में संसद में एसपीजी एक्ट पास हुआ। इसके तहत केवल प्रधानमंत्री को एसपीजी सुरक्षा मिली। उस वक्त पूर्व प्रधानमंत्रियों को एक्ट में शामिल नहीं किया गया था।
वीपी सिंह ने राजीव गांधी की सुरक्षा वापस ली
जब 1989 में वीपी सिंह सरकार में आए तो राजीव गांधी के पास एसपीजी सुरक्षा थी। लेकिन यह नियमों के विरुद्ध था। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा को हटा दिया। तीन महीने बाद राजीव गांधी की एक रैली के दौरान हत्या कर दी गई। राजीव गांधी की मौत के बाद 1991 में एक्ट में बदलाव किया गया। इसके तहत सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों को 10 साल तक एसपीजी सुरक्षा मुहैया कराई जाने लगी।
अटल सरकार ने एक्ट में किया बदलाव
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सुरक्षा समीक्षा के बाद पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, एचडी देवगौड़ा, आईके गुजराल की सुरक्षा में तैनात एसपीजी को हटा दिया गया। 2003 में वाजपेयी सरकार ने इस एक्ट में दोबारा बदलाव किए और 10 साल की सीमा को घटाकर एक साल कर दिया। अब प्रधानमंत्रियों को पद से हटने के एक साल बाद तक ही सुरक्षा का प्रावधान किया गया। इस एक साल के बाद सुरक्षा समीक्षा के बाद सरकार इसे फिर बढ़ा सकती है।