राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, क्या होगा आगे? सरकार ने लिया स्टैंड

Published : Dec 10, 2024, 07:18 PM ISTUpdated : Dec 10, 2024, 10:59 PM IST
kiren rijiju

सार

राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव दिया है। 60 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सरकार ने इसे खारिज करने की बात कही है।

Dhankar no confidence motion row: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। 60 विपक्षी सांसदों के सिग्नचेर वाले अविश्वास नोटिस से संसदीय राजनीति गरमा गई है। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव नोटिस पर केंद्र सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि एनडीए के पास राज्यसभा में बहुमत है। हम नोटिस पर कार्रवाई नहीं होने देंगे। संसद सचिवालय विपक्ष के नोटिस को खारिज करेगा। उन्होंने विपक्ष पर राज्यसभा सभापति का अपमान करने का आरोप लगाया है।

क्या कहा संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने?

केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि एनडीए के पास राज्यसभा में बहुमत है। नोटिस को खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खारिज किया जाएगा और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस तरह की कार्रवाई को स्वीकार न किया जाए। विपक्ष हमेशा चेयर का अपमान करता है। वे सभापति के अधिकारों का अनादर करते हैं। धनखड़ जी एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। वे संसद के अंदर और बाहर हमेशा किसानों और लोगों के कल्याण के बारे में बात करते हैं। वे हमारा मार्गदर्शन करते हैं। हम उनका सम्मान करते हैं। सदन में एनडीए के पास बहुमत है और हम सभी को चेयरमैन पर भरोसा है।

कांग्रेस सहित इंडिया ब्लॉक के सांसदों के हस्ताक्षर से अविश्वास नोटिस

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव नोटिस दिया है। कांग्रेस मुख्य प्रस्तावक है। ममता बनर्जी की टीएमसी, केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी, डीएमके, लालू प्रसाद यादव का राष्ट्रीय जनता दल सहित विभिन्न पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। सभापति जगदीप धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने बड़ा कदम उठाया है। एक दिन पहले सोरोस मुद्दे पर राज्यसभा में बवाल हुआ था। विपक्षी कांग्रेस ने सवाल उठाया कि सभापति धनखड़, सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों को इस मुद्दे को उठाने की अनुमति कैसे दे रहे हैं, जबकि उन्होंने विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए उनके नोटिस को अस्वीकार कर दिया था।

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