उप्र सरकार से हर महीने मिलती है रामलला को इतनी सैलरी, इन जगहों पर होती है खर्च

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को देश के सबसे पुराने अयोध्या जमीन विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया है। इसके अलावा कोर्ट ने रामलला को न्यायिक व्यक्ति माना है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 11, 2019 11:47 AM IST / Updated: Nov 11 2019, 05:30 PM IST

अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को देश के सबसे पुराने अयोध्या जमीन विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया है। इसके अलावा कोर्ट ने रामलला को न्यायिक व्यक्ति माना है। राम लला को पहले से ही उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से हर महीने सैलरी मिलती है। 

रामलला को मंदिर में प्रसाद, बिजली-पानी की सप्लाई के खर्च के लिए हर महीने तनख्वाह मिलती है। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर परिसर और रामलला की देखभाल करने के लिए एक मुख्य पुजारी नियुक्त किया है। 

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कितनी मिलती है सैलरी
रामलला को हर महीने 30 हजार रुपए सैलरी मिलती है। इसे कुछ ही महीने पहले 26200 से बढ़ाकर 30 हजार किया गया है। इसके अलावा मंदिर की देखरेख करने वाले पुजारी सतेंद्र दास को अब हर महीने 13 हजार रुपए मिलते हैं। इसके अलावा सेवा में लगे 8 लोगों की तनख्वाह 7500 से 10 हजार के बीच है। 

कोर्ट ने विवादित जमीन का हक रामलला को दिया
अयोध्या पर फैसला चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एकमत से सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में मंदिर बनाने का अधिकार दिया है। इसके अलावा मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दिया है। अदालत ने तीन महीने में ट्रस्ट बनाने के लिए भी कहा है।

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