आरएसएस भाजपा का वैचारिक संरक्षक है। यह सामाजिक और अन्य गतिविधियों में हमेशा से सक्रिय रहा है। सोशल-कॉरपोरेट रिसपांसिबिलिटी के तहत तमाम परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
पुणे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने एक बार उद्योगपति रतन टाटा से कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता है। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने पुणे के सिंहगढ़ इलाके में एक धर्मार्थ अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित किया।
सुनाया एक किस्सा, जब राज्य सरकार में थे मंत्री
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उस समय का एक किस्सा सुनाया जब वह महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार में मंत्री थे। नितिन गडकरी ने कहा कि औरंगाबाद में दिवंगत आरएसएस प्रमुख केबी हेडगेवार के नाम पर एक अस्पताल का उद्घाटन किया जा रहा था। मैं तब राज्य सरकार में मंत्री था। आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इच्छा व्यक्त की कि अस्पताल का उद्घाटन रतन टाटा द्वारा किया जाए, और मुझसे मदद करने के लिए कहा। नितिन गडकरी ने बताया कि वह किसी तरह रतन टाटा को मनाने में लग गए।आरएसएस के लोगों की इच्छा का ध्यान रखते हुए सबसे पहले उन्होंने टाटा से संपर्क किया और उन्हें देश में गरीबों को कैंसर देखभाल प्रदान करने में टाटा कैंसर अस्पताल के योगदान का हवाला देते हुए उनके मेडिकल फिल्ड में किए गए अमूल्य योगदान के बारे में बातचीत। इसके बाद उन्होंने रतन टाटा के सामने अस्पताल का उद्घाटन का प्रस्ताव रखनेा के बाद उनको इसके लिए राजी किया।
रतन टाटा जब अस्पताल पहुंचे तो एक सवाल किया...
अस्पताल पहुंचने पर, टाटा ने पूछा कि क्या अस्पताल केवल हिंदू समुदाय के लोगों के लिए है। मैंने उनसे पूछा 'आप ऐसा क्यों सोचते हैं।' उन्होंने तुरंत जवाब दिया, 'क्योंकि यह आरएसएस का है।' केंद्रीय मंत्री ने कहा, "मैंने उनसे कहा कि अस्पताल सभी समुदायों के लिए है और आरएसएस में ऐसा कुछ (धर्म के आधार पर भेदभाव) नहीं होता है।"
गडकरी ने कहा कि फिर उन्होंने मिस्टर टाटा को कई बातें बताईं और बाद में वह बहुत खुश हुए।
यह भी पढ़ें:
Ranbir Alia wedding के दिन पुलिस का बड़ा खुलासा, सोनम कपूर के परिवार वाले थैक्यूं कहते नहीं थक रहे