नई संसद भवन के उद्घाटन का विपक्षी दलों के बहिष्कार पर देश के 270 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, पूर्व आर्मी ऑफिसर्स आदि का लेटर, कहा-बॉयकाट निंदनीय...

पार्लियामेंट की नई बिल्डिंग का शिलान्यास 28 मई को पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे। संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराए जाने को लेकर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिए हैं।

Dheerendra Gopal | Published : May 26, 2023 11:45 AM IST / Updated: May 26 2023, 06:17 PM IST

New parliament building boycott by opposition: पार्लियामेंट की नई बिल्डिंग का शिलान्यास 28 मई को पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे। संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराए जाने को लेकर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिए हैं। पीएम मोदी से उद्घाटन न कराए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका भी शुक्रवार को खारिज कर दी है। उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में छिड़ी रार पर देश के कई रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, पूर्व आर्मी ऑफिसर्स आदि ने विपक्ष के नाम निंदा पत्र जारी किया है। 78 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, 10 पूर्व राजदूत, 100 रिटायर्ड आर्मी आफिसर्स व 82 एकेडमिशियन्स के सिग्नेचर वाले लेटर में विपक्ष के नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के बॉयकाट की निंदा की गई है।

क्या है लेटर में?

भारत के लोगों को संबोधित इस पत्र में पूर्व ब्यूरोक्रेट्स व आर्मीमेन्स आदि ने कहा कि विपक्ष का बहिष्कार गैर लोकतांत्रिक तेवर का खुला प्रदर्शन है। भारत के प्रधानमंत्री की प्रमाणिकता, समावेशी नीतियां, रणनीतिक दृष्टि, एक अरब भारतीयों को साथ लेकर चलने की मंशा ने सबको प्रभावित किया है। लेकिन विपक्ष को यह सब अप्रिय लग रहा है। प्रधानमंत्री ने इंडिया फर्स्ट की नीतियों को आगे बढ़ाया है तो फैमिली फर्स्ट ब्रांड की राजनीति को आगे बढ़ाने वाले विपक्ष को यह सब रास नहीं आ रहा है। इसलिए यह लोग बहिष्कार करने एकसाथ सामने आए हैं।

लेटर में आगे लिखा कि जो लोग प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के उद्घाटन का बहिष्कार कर रहे हैं उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे कैसे लोकतंत्र की आत्मा को चूस रहे हैं। वे अपने स्वयं के सूत्रबद्ध अलोकतांत्रिक, नियमित और निराधार बहिष्कार का पालन कर रहे हैं।

विपक्ष हमेशा गैर-पक्षपातपूर्ण आयोजनों का बहिष्कार करता...

रिटायर्ड अधिकारियों ने कहा कि विपक्ष ने संसद के हाल के गैर-पक्षपातपूर्ण आयोजनों का कितनी बार बहिष्कार किया है, इसकी सूची दिमाग को चकरा देने वाली है। 2017 में कांग्रेस पार्टी ने जीएसटी को लॉन्च करने के लिए संसद के मध्य-रात्रि सत्र का बहिष्कार करने का फैसला किया। 2020 में विपक्षी दलों ने समर्थन देने के लिए लोकसभा का बहिष्कार किया था क्योंकि आठ राज्यसभा सदस्यों को अनियंत्रित व्यवहार के लिए निलंबित कर दिया गया था। 2021 में कांग्रेस पार्टी ने विपक्ष के साथ मिलकर 'संविधान दिवस' का बहिष्कार किया था। यह लगातार दूसरी बार था जब विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के समारोह का बहिष्कार किया था। 2022 के मानसून सत्र में, कांग्रेस ने मुद्रास्फीति के एक और गैर-मौजूद मुद्दे को उछाला और उसमें जीएसटी के पूरी तरह से अनावश्यक मुद्दे को जोड़ दिया। बाबा साहेब अम्बेडकर के सम्मान में संविधान दिवस पर संसद के संयुक्त सत्र का बहिष्कार करने वाले उसी गिरोह को कोई नहीं भूल सकता। विपक्ष लगातार माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को साइड-लाइनिंग करने में लगा हुआ है। 2023 में उन्होंने केंद्रीय बजट से पहले संसद के संयुक्त सत्र में उनके प्रथागत भाषण का बहिष्कार किया। मार्च में 13 विपक्षी दलों ने भी स्पीकर की प्रथागत चाय सभा का बहिष्कार किया। इसी कांग्रेस पार्टी द्वारा उन्हें 'राष्ट्रपति' कहकर अपमानित किया।

लेटर में कहा गया है कि संसद भवन का उद्घाटन पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। भारतीय लोकतंत्र के सन्दर्भ में यह घोर निराशा का विषय है कि कांग्रेस पार्टी, जो अपने को सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कहती है, ने बेवजह गाली-गलौज करने का फैसला किया है। दो सौ से अधिक सिग्नेचर वाले इस लेटर में कहा गया है कि हम, भारत के जागरूक नागरिक, विपक्षी दलों के अलोकतांत्रिक और दिखावे की निंदा करते हैं। हम देश के साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े होने का संकल्प लेते हैं।

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