मोहन भागवत ने कहा-RSS का राममंदिर आंदोलन में भाग लेना स्वभाव के खिलाफ, अब ऐसे आंदोलनों में नहीं शामिल होगा संघ

देश में ज्ञानवापी मुद्दे को लेकर विभिन्न संगठनों के आक्रमक बयानों और शिवलिंग की पूजा को लेकर आंदोलन की धमकी के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने ज्ञानवापी मुद्दे को आपसी सहमति से सुलझाने की सलाह देने के साथ राम मंदिर आंदोलन में शामिल होना एक अपवाद बताया है। 

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या राम मंदिर के लिए हुए आंदोलन में आरएसएस के शामिल होने को अपवाद बताया है। उन्होंने साफ किया है कि भविष्य में ऐसे किसी भी आंदोलन में आरएसएस शामिल नहीं होगा। संघ, हर मुद्दे को आपसी सहमति या कोर्ट के माध्यम से सुलझाने के पक्ष में है। 

भागवत गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीसरे वर्ष के अधिकारी प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि अयोध्या आंदोलन में उसकी भागीदारी एक अपवाद है और वह भविष्य में इस तरह के आंदोलन नहीं करेगा। अब ज्ञानवापी मस्जिद (वाराणसी में) का मुद्दा चल रहा है। इतिहास है, जिसे हम बदल नहीं सकते। वह इतिहास हमने नहीं बनाया है, न ही आज के हिंदुओं या मुसलमानों ने। मंदिरों को बाहरी आक्रमणकारियों ने तोड़ा था। वह देश की आजादी के लिए लड़ रहे लोगों का मनोबल तोड़ने के लिए ऐसा कर रहे थे।  

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राममंदिर आंदोलन में शामिल होना हमारे स्वभाव के खिलाफ

आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी मुद्दा सहित ऐसे मुद्दों पर संघ कुछ भी नहीं कहना चाहता है। भागवत ने कहा, "हमने 9 नवंबर को जो कहा था वह हमने कहा था कि राम जन्मभूमि आंदोलन था। हम इसमें शामिल हो गए, हालांकि यह हमारे स्वभाव के खिलाफ था। कुछ ऐतिहासिक कारणों से हम शामिल हुए साथ ही उस समय की स्थिति भी हमें शामिल होने की बड़ी वजह थी। हमने वह काम पूरा कर लिया और अब हम कोई और आंदोलन नहीं करना चाहते हैं।

सभी पक्षों को एक साथ बैठकर मामला सुलझाना चाहिए       

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद में शामिल सभी लोगों को एक साथ बैठकर आपसी सहमति से रास्ता निकालना चाहिए। लेकिन चूंकि ऐसा हर बार नहीं होता है और लोग अदालतों का रुख करते हैं। उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली को पवित्र और सर्वोच्च मानते हुए सभी को अदालत के फैसले को स्वीकार करना चाहिए। यह सच है कि ऐसी जगहों पर हमारी विशेष, प्रतीकात्मक आस्था है, लेकिन हर दिन एक नया मुद्दा नहीं उठाना चाहिए। विवाद क्यों बढ़ाते हैं? ज्ञानवापी के रूप में, हमारी कुछ आस्था है, कुछ परंपराएं हैं, लेकिन शिव लिंग की तलाश क्यों हर मस्जिद में करें? 

ज्ञानवापी मुद्दे का जिक्र कर कहा मुसलमान बाहरी नहीं

स्पष्ट रूप से ज्ञानवापी मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं के दावों का जिक्र करते हुए कहा कि इसके परिसर में एक तालाब में एक शिव लिंग (हिंदू देवता शिव का प्रतीक) पाया गया है। मुसलमान बाहरी नहीं हैं, भले ही उनकी पूजा का तरीका बाहर से आया हो। हमारी परंपरा वही है और कुछ राष्ट्रवादी मुसलमानों ने कई स्वतंत्रता संग्राम में हिंदुओं के साथ लड़ाई लड़ी है, और वे हमारे देश के मुसलमानों के लिए आदर्श हैं।

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