सार
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शिवलिंग व मस्जिद विवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में 'शिवलिंग' विवाद में हिंदू और मुस्लिम याचिकाकर्ता अदालत द्वारा आदेशित मस्जिद परिसर के फिल्मांकन को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं ताकि यह जांचा जा सके कि हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं या नहीं।
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शिवलिंग व मस्जिद विवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। मोहन भागवत ने कहा कि क्यों हर बार मस्जिद में आप केवल शिवलिंग ही देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी आस्था से जुड़ा मसला है जिसकी लड़ाई कोर्ट में लड़ी जा रही है। इस मामले को आपसी सहमति से निपटाया जाना चाहिए। लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग खोजना सही नहीं है।
भागवत ने कहा-आपसी सहमति से निकले रास्ता तो बेहतर
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के फिल्मांकन के विवाद पर आपसी समझौते के माध्यम से रास्ता का आह्वान किया। आरएसएस चीफ ने कहा कि कुछ जगहों के प्रति हमारी विशेष भक्ति थी और हमने उनके बारे में बात की लेकिन हमें रोजाना एक नया मामला नहीं लाना चाहिए। हम विवाद को क्यों बढ़ाएँ? ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति है और उसके अनुसार कुछ करना ठीक है। लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग देखना ठीक नहीं है। यह क्यों किया जा रहा है।
सड़क पर ज्ञानवापी के लिए कोई आंदोलन नहीं
आरएसएस प्रमुख के बयान ने दक्षिणपंथी समूहों और नेताओं के उन बयानों व टिप्पणियों को खारिज कर दिया है जिन्होंने यह संकेत दिया था कि ज्ञानवापी के लिए आंदोलन सड़कों पर शुरू हो सकता है। यह सबकुछ वैसा करने का संकेत था जैसो 1992 में यूपी के अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय हुआ था। मोहन भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी मामला चल रहा है। हम इतिहास नहीं बदल सकते। इसे न तो आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने। यह उस समय हुआ जब इस्लाम हमलावरों के माध्यम से बाहर से आया था। हमलों में, देवस्थानों को ध्वस्त कर दिया गया था। बाहरी हमलावरों ने यह इसलिए किया क्योंकि वह उन लोगों का मनोबल गिराना जो भारत की स्वतंत्रता चाहते थे। दरअसल, हिंदू और मुस्लिम याचिकाकर्ता अदालत द्वारा आदेशित मस्जिद परिसर के फिल्मांकन को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं ताकि यह जांचा जा सके कि हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं या नहीं।
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