
पूणे। भारत का बढ़ता कद आज दुनिया के सामने एक नई तस्वीर पेश कर रहा है। RSS चीफ मोहन भागवत के हालिया बयान ने इस चर्चा को और तेज कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलते हैं, तो दुनिया के नेता ध्यान से सुनते हैं, और इसका कारण है-भारत की बढ़ती ताकत, बढ़ती भूमिका और विश्व मंच पर उसकी सही उपस्थिति। आज भारत सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि एक वैशिक सोच, वैशिक नेतृत्व और वैशिक समाधान देने वाला राष्ट्र बनता दिख रहा है। इसी बदलते दौर को मोहन भागवत ने अपनी स्पीच में विस्तार से समझाया।
पुणे में RSS के 100 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में मोहन भागवत का बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा कि दुनिया इतने ध्यान से भारत के नेतृत्व को इसलिए सुन रही है, क्योंकि अब भारत अपनी असली शक्ति वहां दिखा रहा है जहां उसकी जरूरत है। यह सिर्फ राजनीतिक ताकत नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक शक्ति का भी संकेत है, जिसे दुनिया धीरे-धीरे समझने लगी है।
भागवत ने कहा कि संघ ने सौ साल का सफर कई तूफानों और चुनौतियों के बीच पार किया है, लेकिन अब यह आत्मनिरीक्षण का समय है-आखिर समाज को जोड़ने में इतना समय क्यों लगा? उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी जयंती या उत्सव का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि काम समय पर पूरा करने का संकल्प जरूरी है। यह संदेश RSS के कार्यकर्ताओं के लिए तो है ही, लेकिन देश के हर नागरिक पर भी लागू होता है।
भागवत ने यह दावा किया कि इतिहास में यह दर्ज है-जब भारत आगे बढ़ता है, दुनिया की समस्याएँ कम होती हैं, विवाद घटते हैं और शांति बढ़ती है। क्या यह सिर्फ विचार है या इसके पीछे कोई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार है? उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक हालात भी भारत से इसी नेतृत्व की मांग कर रहे हैं। यही कारण है कि RSS के स्वयंसेवक पहले दिन से इस मिशन को पूरा करने में लगे हुए हैं।
भागवत ने कहा कि दुनिया मोदी को इसलिए सुन रही है क्योंकि भारत की ताकत अब उन जगहों पर दिखने लगी है, जहाँ उसे दिखना चाहिए। यह वह ताकत है, जिसे लंबे समय तक दुनिया ने अनदेखा किया था।अब भारत सिर्फ अपनी बात नहीं रख रहा, बल्कि दुनिया उसकी बात को ध्यान से सुन रही है।
भागवत ने कहा कि भारत की विविधता ही उसकी असली एकता है। अलग सोच, अलग परंपराएं, अलग भाषाएं-सब एक ही स्रोत से निकले विचार हैं। उन्होंने बताया कि समाज को साथ जोड़कर चलना ही भविष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता है, और इसके लिए धर्म, संस्कार और समझदारी जरूरी है।
भागवत ने अपने एक पुराने अनुभव का जिक्र किया। किसी ने उनसे कहा कि संघ 30 साल देर से आया है। उन्होंने जवाब दिया-"संघ देर से नहीं आया। आपने हमें देर से सुनना शुरू किया।" यह बयान यह संकेत देता है कि भारत की सोच और भारत का मॉडल हमेशा मजबूत था, बस दुनिया इसे समझने में देर कर रही थी।