यूरोप इस मानसिकता से बाहर निकले कि उसकी समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की नहीं

भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर का बयान उस समय आया जब  यूरोपियन देश, भारत पर यूक्रेन को लेकर खुलकर साथ देने का दबाव बना रहे हैं। विदेश मंत्री ने यूरोपियन देशों को आईना दिखाया है। 

Dheerendra Gopal | Published : Jun 3, 2022 5:46 PM IST / Updated: Jul 18 2022, 02:57 PM IST

नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर (S.Jaishankar) ने कहा है कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए कि उसकी समस्याएं पूरे विश्व की समस्या है। लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्या नहीं है। जयशंकर ने कहा कि भारत का चीन के साथ असामान्य संबंध हैं लेकिन हम इसे सही करने या प्रबंधित करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। 

स्लोवाकिया (Slovakia) की राजधानी ब्रातिस्लावा (Bratislava) में एक सम्मेलन में एक संवाद सत्र में, जयशंकर ने यह भी कहा कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उसकी समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं। जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ हमारे एक कठिन संबंध हैं और हम इसे प्रबंधित करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। अगर मुझे वैश्विक समझ और समर्थन मिलता है, तो जाहिर तौर पर यह मेरे लिए मददगार है। लेकिन बहुत सी ऐसी समस्याएं हैं जिससे दूसरों को कोई लेना देना नहीं है। चीन में हमारी बहुत सी समस्याओं का यूक्रेन से कोई लेना-देना नहीं है और रूस से कोई लेना-देना नहीं है। 

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क्यों जयशंकर ने कही यह बात?

जयशंकर की कड़ी टिप्पणी यूरोपीय देशों द्वारा यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर भारत को कड़ा रुख अपनाने के लिए लगातार प्रयासों के बीच इस तर्क के साथ आई कि नई दिल्ली को भविष्य में चीन से इसी तरह की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

भारत-चीन, यूक्रेन के बहुत पहले हुआ

जयशंकर से पूछा गया कि उन्हें क्यों लगता है कि चीन के साथ समस्या के मामले में कोई भी नई दिल्ली की मदद करेगा, जबकि उसने यूक्रेन के लिए दूसरों की मदद नहीं की थी। जयशंकर ने कहा कि कहीं न कहीं यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा कि अगर यह तुम हो, यह तुम्हारा है, अगर यह मैं हूं तो यह हमारा है। आपकी समस्याएं आपको दिखती है तो मेरी मुझको और उसी तरह हम अपनी नीति भी तय करेंगे। आप यूक्रेन की बात करते हैं लेकिन भारत चीन बहुत पहले हो गए थे यह भी याद रखना चाहिए। 

यूरोप एशिया के मामलों में चुप लेकिन हम नहीं...

जयशंकर ने कहा कि यूरोप भी एशिया के कई घटनाक्रमों पर खामोश है। उन्होंने कहा कि अगर मैं यूरोप को सामूहिक रूप से लेता, जो कई चीजों पर अकेले चुप रहा है, उदाहरण के लिए एशिया में, तो आप पूछ सकते हैं कि एशिया में कोई भी यूरोप पर किसी भी चीज पर भरोसा क्यों करेगा।

जयशंकर ने कहा कि भारत यूक्रेन के बुका में हुई हत्याओं की निंदा करता है और इसकी भी जांच का समर्थन करता है। यूक्रेन संघर्ष के साथ जो हो रहा है, उसके संदर्भ में, हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है कि हम शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के पक्ष में हैं। ऐसा नहीं है कि हमने इसे तब तक नजरअंदाज कर दिया जब तक आप (यूरोप) पुतिन और ज़ेलेंस्की को फोन नहीं करते हैं। बता दें कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संकट पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की और रूसी राष्ट्रपति पुतिन को फोन किया था और दोनों से संघर्ष समाप्त करने का अनुरोध किया।

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