तीन करोड़ से अधिक तमिल चाहते हैं मंदिरों को राजसत्ता नियंत्रण मुक्त करे सरकार

तमिल मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए ईशा फाउंडेशन ने अभियान तेज कर दिया है। सद्गुरु ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी व विपक्ष के नेता एमके स्टालिन को दूसरा पत्र लिखकर लोगों की इच्छाओं व मांग की अनदेखी न करने की अपील की है।

कोयम्बटूर। तमिल मंदिरों को राज्य सरकार से मुक्त करने के अभियान को करोड़ों लोगों का साथ मिल रहा है। #FreeTNTemples अभियान शुरू होने के एक माह के भीतर ही तीन करोड़ से अधिक लोग इस अभियान के समर्थन में आ गए। इन लोगों की मांग है कि उनके मंदिरों को उनके समुदाय में बहाल किया जाए। इस बाबत ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी व विपक्ष के नेता एमके स्टालिन को फिर पत्र लिखा है। 

राजनीतिक दलों को तमिल लोगों की भावनाओं का रखना चाहिए ख्याल

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सद्गुरु ने राजनीतिक दलों के प्रमुखों से कहा है कि यह जनता की आवाज है जो अभियान के तहत उठाया जा रहा है। आंदोलन को समाज के सभी वर्गाें का व्यापक समर्थन मिल रहा है। समाज के आध्यात्मिक नेता भी लंबे समय से इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। अब राजनीतिक दलों को साथ आना चाहिए। 
सद्गुरु ने अपने ट्वीटर हैंडल पर नेताओं के लिए एक सार्वजनिक अपील भी पोस्ट की है। 
सद्गुरु ने ट्वीट किया है, ‘अभियान से जुड़े तीन करोड़ तमिल लोगों की भावनाओं का कद्र करता हूं और उनको हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। जिम्मेदार नेताओं से अपील करता हूं कि तमिल व द्रविड़ गौरव व इन लोगों की भावनाओं का कद्र करते हुए इनके मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त किया जाए। 

 

नेता संकल्प लें कि वे मंदिरों को कराएंगे मुक्त

मुख्यमंत्री पलानीस्वामी व विपक्ष के नेता एमके स्टालिन को लिखे पत्र में सद्गुरु ने कहा है कि आप लोग तमिलों से एक वादा कीजिए कि उनके प्रिय मंदिरों को आपके नेतृत्व में उनको वापस किया जाएगा। उन्होंने आगे लिखा है कि एक महान लोकतांत्रिक समाज के प्रतिनिधि के रुप में आप अपने कर्तव्यों से विमुख नहीं हो सकते। आप करोड़ों लोगों की अपील को आंख-कान बंद कर अनसुनी-अनदेखी नहीं कर सकते। 

सद्गुरु ने लिखा कि लोगों में बढ़ रहा गुस्सा

दोनों नेताओं को लिखे गए अपने इस दूसरे पत्र में सद्गुरु ने कहा है कि अपने मंदिरों की दशा देख लोगों में गुस्सा और पीड़ा बढ़ रही है। उनके आराध्यों के मंदिर खंडहरों में तब्दील हो रहे हैं। ऐसे वीडियो व फोटोज की सोशल प्लेटफार्म पर बाढ़ सी आ गई है। उन्होंने कुछ मंदिरों का भी जिक्र पत्र में किया है। 13वीं सदी के  अबथसहायश्वर शिव मंदिर, 800 साला पुराने थिरुनादेश्वरार अलायम हो या मूंडेश्वरेश्वर कोईल मंदिर, इनकी स्थितियां काफी खराब हो चुकी हैं। इन मंदिरों के फुटेज सोशल मीडिया पर है जिसे भक्तों  ने डाले हैं। 

जनहित के इन मुद्दों को भी चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने की अपील

मार्च के प्रारंभ में सद्गुरु ने एक और पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की थी कि वह जनता की भावनाओं का कद्र करते हुए अपने चुनावी घोषणा पत्रों में तमिल मंदिरों को राजसत्ता के नियंत्रण से मुक्त करने का संकल्प लें। इसके अलावा सद्गुरु ने चुनावी घोषणा पत्रों में राजनीतिक दलों से कावेरी नदी के पुनरोद्धार, ग्रामीण्एा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, तमिलनाडु के युवाओं के लिए कौशल विकास और राज्य में निवेश को आकर्षित करने वाले मुद्दों को शामिल करने की अपील की थी। 
 

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