
Satyapal Malik Death: पिछले दो दिनों में देश ने दो बड़े नेताओं को खो दिया। दिशोम गुरु के नाम से प्रसिद्ध झारखंड के दिग्गज नेता शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। उनके जाने के एक दिन बाद ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का भी निधन हो गया। दोनों नेता लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर फैल गई है, और पूरे देश में दुख का माहौल है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज दोपहर 1:10 बजे दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। वे काफी समय से बीमार थे। सत्यपाल मलिक का जन्म जुलाई 1946 में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावड़ा गांव में हुआ था। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से बीएससी और फिर कानून की पढ़ाई की। कॉलेज के दिनों में ही वे छात्र राजनीति से जुड़ गए थे और आगे चलकर मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय हो गए।
बता दें कि जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटाए गए थे, उस समय सत्यपाल मलिक वहां के राज्यपाल थे। बाद में जब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य से बदलकर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, तो सत्यपाल मलिक को वहां का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया। इसके बाद वे गोवा और मेघालय के राज्यपाल भी रहे। अपने बेबाक बयानों और जनता से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बोलने के लिए वे हमेशा चर्चा में रहते थे। किसान आंदोलन के समय उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार की भी खुलकर आलोचना की थी।
4 अगस्त को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता शिबू सोरेन का दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे 81 साल के थे और पिछले एक महीने से किडनी की बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन से पूरे झारखंड और देशभर में शोक की लहर फैल गई।
शिबू सोरेन को झारखंड में ‘गुरुजी’ के नाम से जाना जाता था। वे आदिवासी समाज के एक प्रभावशाली नेता थे और झारखंड को अलग राज्य बनाने की अहम लड़ाई में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके थे। उनके बेटे और मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उस समय अस्पताल में मौजूद थे जब शिबू सोरेन ने अंतिम सांस ली। पिता के निधन के बाद वे बहुत भावुक हो गए और फूट-फूटकर रोते नजर आए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अस्पताल पहुंचे और शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने परिवार से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। शिबू सोरेन के जाने से झारखंड की राजनीति और आदिवासी समाज ने एक बड़ा नेता खो दिया है।
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