SBI ने सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किए चुनावी बांड के आंकड़े, 2 PDF फाइलों में छुपे है सारे रहस्य, जानें पूरी डिटेल

Published : Mar 13, 2024, 12:55 PM ISTUpdated : Mar 13, 2024, 01:39 PM IST
Parties get Rs 545 cr through electoral bonds ahead of Himachal Pradesh, Gujarat elections

सार

SBI ने सुप्रीम कोर्ट में अनुपालन हलफनामा दायर किया, जिसके मुताबिक 2019 से साल 2024 तक 22,217 चुनावी बांड खरीदे गए और 22,030 रिडिम किए गए।

चुनावी बांड। SBI ने सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बांड से संबंधित अनुपालन हलफनामा दायर किया, जिसके मुताबिक 2019 से साल 2024 तक 22,217 चुनावी बांड खरीदे गए और 22,030 रिडीम किए गए। बैंक ने कहा कि शेष 187 को रिडीम कर लिया गया और नियमों के मुताबिक पैसा प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष में जमा कर दिया गया। SBI के द्वारा ये हलफनामा सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लगाए गए फटकार के दो दिन बाद जमा किया गया। SBI ने हलफनामे में ये जानकारी भी दी है कि उसने बांड से जुड़े डेटा को भारत के चुनाव आयोग (EC) को सौंप दिया है। SBI ने बताया कि उसने डेटा को एक पेन ड्राइव में करके चुनाव आयोग को सौंप दिया है।

SBI के द्वारा पेश किए गए डेटा में 2 PDF फाइल मौजूद है, जो पासवर्ड से सिक्योर है। बैंक ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा योजना को रद्द करने से पहले अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच कुल 22,217 चुनावी बांड जारी किए गए थे और 22,030 रिडीम किए गए हैं। वहीं SBI द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक 1 अप्रैल 2019 से उसी साल 11 अप्रैल के बीच कुल 3,346 चुनावी बांड खरीदे गए। आंकड़ों से पता चला है कि कुल 3,346 चुनावी बांड में से 1,609 बांड को रिडीम किया गया, जबकि 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी तक कुल 18,871 चुनावी बांड खरीदे गए और 20,421 बांड रिडीम किए गए।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया

15 फरवरी के अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दे दिया था. कोर्ट ने दलील देते हुए कहा कि ये दानदाताओं और राजनीतिक दलों के बीच संभावित बदले की भावना के बारे में नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। इसके उपरांत SBI को कोर्ट की तरफ से आदेश दिया गया कि वह तुरंत बांड जारी करना बंद कर दे और दान का विवरण चुनाव आयोग को सौंपे, जो उन्हें सार्वजनिक कर देगा।

 इसके बाद कोर्ट ने बैंक को डेटा जमा करने के लिए 6 मार्च की तारीख दी थी और EC को इसे 13 मार्च तक सार्वजनिक करने के लिए कहा था। लेकिन बैंक ने अदालत से 30 जून तक की मोहलत देने का अनुरोध किया था। हालांकि, कोर्ट ने फटकार लगाते हुए बैंक को कहा कि जब आपके पास डिटेल हैं तो आंकड़े पेश करने में दिक्कत कहां आ रही है।

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