सुप्रीम कोर्ट ने संसद को निर्देश देते हुए कहा, "वह विधानसभा स्पीकर की शक्तियों पर दोबारा विचार करे। स्पीकर भी किसी न किसी पार्टी का होता है। ऐसे में क्या वह विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की याचिका पर फैसला ले सकता है?
नई दिल्ली. मणिपुर के विधायक टी श्याम कुमार को विधानसभा द्वारा अयोग्य ठहराए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस द्वारा दायर किए गए याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने संसद को निर्देश देते हुए कहा, "वह विधानसभा स्पीकर की शक्तियों पर दोबारा विचार करे। स्पीकर भी किसी न किसी पार्टी का होता है। ऐसे में क्या वह विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की याचिका पर फैसला ले सकता है? इस पर संसद विचार करे।"
4 हफ्ते का दिया समय
जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने अयोग्य ठहराए जाने की याचिकाओं के निपटारे के लिए एक स्वतंत्र व्यवस्था का सुझाव भी दिया। इसी के तहत मणिपुर विधानसभा स्पीकर वाई खेमचंद सिंह को 4 हफ्ते में श्याम कुमार की अयोग्यता पर फैसला लेने के निर्देश दिए। बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर तय वक्त में फैसला नहीं लिया जाता है तो आप दोबारा कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
कांग्रेसी विधायकों ने मांग की कि 10वीं अनुसूची के तहत वन मंत्री श्यामकुमार को अयोग्य ठहराया जाए। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह समय है कि संसद इस पर विचार करे कि सदस्यों की अयोग्यता का काम स्पीकर के पास रहे, जो एक पार्टी से संबंध रखता है या फिर लोकतंत्र का कार्य समुचित चलता रहे। इसके लिए अयोग्यता पर तुरंत फैसला लेने के लिए रिटायर्ड जजों या अन्य का ट्रिब्यूनल बनाया जाए। मणिपुर से अलावा कई ऐसे केस हुए हैं जिसमें स्पीकर ने जानबूझकर विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने में देरी की जिससे सरकार का अस्तित्व बना रहे या फिर गिरने न पाए।
दल-बदल कानून के तहत की गई है मांग
श्याम कुमार ने कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। इसके बाद वे भाजपा में शामिल होकर वन एवं पर्यावरण मंत्री बन गए। कांग्रेस विधायक फजुर रहीम और के मेघचंद्र ने दल-बदल कानून के आधार पर श्याम कुमार की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की है।