प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और राज्यों को निर्देश दिए हैं कि सभी प्रवासियों को 15 दिन में घर पहुंचाया जाए। कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों को रिकॉर्ड पर लाना है कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत देंगे।
नई दिल्ली. प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और राज्यों को निर्देश दिए हैं कि सभी प्रवासियों को 15 दिन में घर पहुंचाया जाए। कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों को रिकॉर्ड पर लाना है कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत देंगे। प्रवासियों का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए।
9 जून को आएगा आदेश
प्रवासी मजदूरों पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा। मंगलवार 9 जून को आएगा आदेश। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सभी राज्य गांव और प्रखंड के स्तर पर अपने यहां वापस लौटे मज़दूरों का रजिस्ट्रेशन करें। उन्हें रोजगार देने की व्यवस्था करें। उनकी परेशानी दूर करने के लिए काउंसिलिंग भी करें।
"1 करोड़ लोगों को घर भेजा"
केंद्र की तरफ से बताया गया, अब तक 4200 श्रमिक ट्रेन चलाई गई। ट्रेन/सड़क मार्ग से 1 करोड़ लोगों को घर भेजा गया। अभी राज्य सरकारों ने 171 ट्रेन का अनुरोध कर रखा है। अनुरोध मिलने के 24 घंटे के भीतर ट्रेन का बंदोबस्त किया जा रहा है।
"4,200 से अधिक विशेष श्रमिक ट्रेन चलाई गईं"
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और एम आर शाह की पीठ ने प्रवासी मजदूरों की स्थिति को लेकर सुनवाई की। इस बीच केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिये 3 जून तक 4200 से अधिक 'विशेष श्रमिक ट्रेन' चलाईं।
यूपी में 21.69 लाख प्रवासी मजदूर आए
उत्तर प्रदेश की तरफ से वकील पी नरसिम्हा ने कहा, राज्य ने मजदूरों से किराया नहीं लिया जा रहा है। 21.69 लाख लोगों को वापस लाया जा चुका है। दिल्ली से बसों ने 10 हजार से ज्यादा बार सफर किया और वहां से 5.50 लाख प्रवासी मजदूरों को वापस लाया गया है।
बिहार में 28 लाख प्रवासी मजदूर लौटे
बिहार सरकार की तरफ से वकील रंजीन कुमार ने कहा, 28 लाख लोग बिहार लौटे हैं। सभी प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए बिहार सरकार जरूरी कदम उठा रही है।