
CJI On Article 35A. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 35ए हटान से वहां के लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए। सीजेआई ने कहा कि जो जम्मू कश्मीर में नहीं रहते हैं, उनसे रोजगार, अवसर की समानता और संपत्ति अर्जित करने के अधिकार पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। उनकी यह टिप्पणी जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने की चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के 11वें दिन सामने आई है।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई
इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने को चुनौती दी गई है और इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 35ए जम्मू कश्मीर में न रहने वाले लोगों को प्रमुख संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर दिया है। इसे हटाए जाने से अवसर की समानता, राज्य सरकार में रोजगार, जमीन खरीदने का अधिकार, यह विशेष अधिकार जम्मू कश्मीर के नागरिकों के पास थे लेकिन 35ए हटाए जानें के बाद यह सब नागरिकों से छीन लिया गया है। सीजेआई केंद्र सरकार की उस बात से भी सहमत हुए कि भारतीय संविधान एक ऐसा दस्तावेज है, जो जम्मू कश्मीर संविधान से ऊंचा है।
2019 में हटाया गया अनुच्छेद 35ए
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 को अगस्त 2019 में हटा दिया गया था। यह पूर्ववर्ती राज्य की विधायिका को स्थायी निवासियों को परिभाषित करने और उन्हें रोजगार, अचल संपत्ति के संदर्भ में विशेष अधिकार की अनुमति देता है। वहीं, अनुच्छेद 16(1) के तहत जो सीधा अधिकार है जिसे छीन लिया गया है। यह राज्य सरकार के तहत रोजगार से जुड़ा था। सीजेआई ने कहा कि इसी तरह से अनुच्छेद 19 देश के किसी भी हिस्से में रहने और बसने के अधिकार को मान्यता देता है, अनुच्छेद हटाने से यह भी प्रभावित हुआ है। दूसरी तरफ केंद्र की ओर से दलील देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस कदम ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को देश के बाकी हिस्सों के बराबर ला दिया है। अब वहां सभी कल्याणकारी कानून लागू होते हैं, जो पहले नहीं होते थे।
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