हाल ही में पदस्थ हुईं रश्मिता ने फेसबुक पोस्ट (Facebook Post) में कश्मीर (Kashmir ) के पत्थरबाजों पर जनरल रावत के रुख का जिक्र करते हुए लिखा था- मृत्यु किसी व्यक्ति को पवित्र नहीं बनाती है।
तिरुवनंतपुरम। केरल (Kerala)के चार पूर्व सैनिकों (Ex-servicemen) ने राज्य के महाधिवक्ता (Advocate general) गोपाल कृष्ण कुरुप को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने सीडीएस बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) के हेलिकॉप्टर क्रैश मामले में केरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार की वकील रश्मिता रामचंद्रन की फेसबुक टिप्पणी का विरोध किया है। इन पूर्व सैनिकों का कहना है कि रेशमा रामचंद्रन ने सीडीएस के निधन का जश्न मनाया। हाल ही में पदस्थ हुईं रेशमा ने फेसबुक पोस्ट में कश्मीर के पत्थरबाजों पर जनरल रावत के रुख का जिक्र करते हुए लिखा था- मृत्यु किसी व्यक्ति को पवित्र नहीं बनाती है। इस पोस्ट के बाद पूर्व सैनिकों ने महाधिवक्ता (Advocate General) को पत्र लिखकर वकील के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पूर्व सैनिकों ने कहा कि ऐसी टिप्पणी करने वाली अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई करें, ताकि उन्हें पता चले कि हमारे संविधान में न्याय के मंदिर में सेवा देने वालों को अभिव्यक्ति की आजादी के दुरुपयोग काअधिकार नहीं दिया जा सकता।
रश्मिता ने पोस्ट में क्या लिखा :
सरकारी वकील रश्मिता रामचंद्रन ने अपने पोस्ट में जनरल रावत पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा कि जनरल रावत संवैधानिक अवधारणा को दरकिनार कर रहे थे कि भारत में सिर्फ राष्ट्रपति ही तीनों सेनाओं के अध्यक्ष हैं। उन्होंने जनरल रावत द्वारा 2017 में एक कश्मीरी युवक (पत्थरबाज) को जीप के बोनट पर बांधने वाले मेजर लीतुल गोगोई को प्रशास्ति पत्र देकर सम्मानित करने पर भी सवाल उठाए। रश्मिता ने रावत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें जनरल रावत ने कहा था - काश ये लोग हम पर पत्थर की जगह गोलीबारी कर रहे होते तो मैं ज्यादा खुश होता। तब मैं वो कर पाता, जो मैं करना चाहता हूं। इसके बाद उन्होंने लिखा - मृत्यु किसी इंसान को पवित्र नहीं बनाती।
पूर्व सैनिकों ने कहा- टैक्सपेयर्स के पैसों से आनंद ले रहीं
थल सेना से रिटायर्ड कैप्टन सुदरन के और रंगनाथ डी, इंडियन एयरफोर्स के पूर्व सार्जेंट संजयन एस और एसरफोर्स के सैनिक सोमशेखरन सीजी ने यह पत्र एडवोकेट जनरल को लिखा है। पूर्व सैनिकों ने लिखा है कि हम भारी मन से पत्र लिख रहे हैं। जनरल रावत एक उच्च पदस्थ सैनिक थे, जो आतंकवाद विरोधी अभियानों का हिस्सा रहे हैं और कश्मीर में सेवा कर चुके हैं। पूरा देश उनके निधन का शोक मना रहा है। लेकिन, सरकारी वकील रेश्मिता आर चंद्रन फेसबुक पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कर रही हैं। पत्र में कहा गया है कि यह महिला हाईकोर्ट में केरल राज्य के लिए एक सरकारी वकील की एक जिम्मेदार पद पर है। वह पद के लाभों और विशेषाधिकारों का आनंद ले रही है और टैक्पेयर्स के पैसों से इसका भुगतान किया जा रहा है।
न्याय व्यवस्था के लिए ऐसा पोस्ट शर्मनाक
पूर्व सैनिकों ने लिखा - महिला वकील ने यह टिप्पणी ऐसे वक्त की है, जब मृत सैनिकों के शवों का अंतिम संस्कार भी नहीं किया गया है। यह आपके कार्यालय सहित राज्य सरकार की पूरी कानून व्यवस्था और न्यायिक व्यवस्था के लिए शर्मनाक है। महिला वकील की पोस्ट अब भी फेसबुक पर है। ऐसे में पूर्व सैनिक और केरल निवासी होने के नाते हमें तकलीफ होती है। ऐसी टिप्पणियां नफरत भड़का सकती हैं। यह टिप्पणियां ऐसे व्यक्ति के द्वारा की जा रही हैं, जो हाईकोर्ट में हमारे राज्य का प्रतिनिधित्व करता है। इस पोस्ट पर वकील को काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी थी।
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