दिल्ली पुलिस ने आफताब को साकेत कोर्ट में किया पेश, मिली 5 दिन की कस्टडी, जारी रहेगी पूछताछ

श्रद्धा वाकर (Shraddha murder case) के शव को 35 टुकड़े करने में आफताब को 10 घंटे लगे थे। इस दौरान थकने पर उसने खाना मंगाया और खाकर फिल्म देखा। पुलिस रिमांड में भी वह चैन की नींद सोता देखा गया।

Asianet News Hindi | Published : Nov 17, 2022 10:22 AM IST / Updated: Nov 17 2022, 04:58 PM IST

नई दिल्ली। श्रद्धा वाकर हत्याकांड (Shraddha murder case) में आरोपी आफताब पूनावाला को पुलिस ने दिल्ली के साकेत कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया। कोर्ट ने आफताब को पांच दिन की पुलिस कस्टडी में दिया है। उससे पुलिस द्वारा की जा रही पूछताछ जारी रहेगी।

इस बीच जानकारी सामने आई है कि आफताब ने जिस तरह श्रद्धा की हत्या की और उसके शव के टुकड़े-टुकड़े कर महरौली के जंगल में ठिकाने लगाया उससे पता चलता है कि उसने ठंडे दिमाग से इस संबंध में फैसला किया था। उसे हत्या का कोई पछतावा नहीं था। शव के 35 टुकड़े करने में आफताब को 10 घंटे लगे। 

शव को आरी से काटते समय थक जाने पर आफताब ने फूड डिलीवरी ऐप की मदद से खाना मंगवाया। खाना खाकर उसने फिल्म देखा और उसी फ्लैट में चैन से सो गया। आफताब को पुलिस ने जब गिरफ्तार किया तब भी उसके चेहरे पर शिकन नहीं थी। वह लॉकअप में चैन की नींद सोता रहा।

काम नहीं आया बैन्जीन केमिकल
आफताब ने हत्या से पहले पूरा रिसर्च कर लिया था कि सबूतों को कैसे मिटाना है। उसे पता था कि पुलिस घटनास्थल पर खून के दाग तलाशने के लिए बैन्जीन नाम के केमिकल का छिड़काव करती है। इसके लिए आफताब ने उस खास केमिकल से फ्लैट और फ्रिज की सफाई की, जिससे खून के धब्बे पूरी तरह साफ हो गए। मामला सामने आने पर हत्या के पांच महीने बाद पुलिस ने जब मौके पर बैन्जीन केमिकल फेंका तो खून के धब्बे नहीं मिले। 

श्रद्धा के करीबी दोस्त लक्ष्मण के चलते खुला राज
श्रद्धा अपने परिजनों की मर्जी के खिलाफ आफताब के साथ लिव इन में रह रही थी। उसने अपने घरवालों से नाता तोड़ रखा था। वह बात भी नहीं करती थी। परिजनों को बेटी किस हाल में है इसका पता सोशल मीडिया पर उसके द्वारा किए गए पोस्ट से चलता था। यही कारण है कि मई में श्रद्धा की हत्या हुई और सितंबर तक उसके परिजनों को इसका पता नहीं चला। 

श्रद्धा के करीबी दोस्त लक्ष्मण नादर ने सितंबर में श्रद्धा के पिता से संपर्क किया था। उसने कहा था कि श्रद्धा लापता है। इसके बाद श्रद्धा के पिता शिकायत दर्ज कराने के लिए मुंबई के वसई के मानिकपुर पुलिस स्टेशन गए। मानिकपुर थाने की पुलिस श्रद्धा के दिल्ली में लापता होने के चलते केस दर्ज नहीं करना चाहती थी। श्रद्धा के पिता मीरा भायंदर वसई विरार के एक सीनियर पुलिस ऑफिसर के पास गए। इसके बाद अक्टूबर में श्रद्धा की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की गई।

आफताब ने मुंबई पुलिस से कहा था श्रद्धा को उसने छोड़ दिया
मानिकपुर पुलिस ने श्रद्धा के परिजनों और नादर के बयान दर्ज कर जांच शुरू की थी। इस दौरान आफताब पुलिस की रडार पर आया। पुलिस को पता चला कि श्रद्धा ने आफताब के साथ हिमाचल प्रदेश की यात्रा की थी। मानिकपुर थाने के सीनियर इंस्पेक्टर संपतराव पाटिल ने बताया कि हमने अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में दिल्ली से आफताब को पूछताछ के लिए बुलाया था। आफताब ने कहा था कि 2020 में मां की मौत के बाद से श्रद्धा निराश रहती थी। वह छोटी-छोटी बातों पर झगड़ने लगीं थी। उसने मई में झगड़े के बाद उसे छोड़ दिया था। वह कहां गई इसकी जानकारी उसे नहीं है। 

संपतराव पाटिल ने बताया कि पूछताछ के दौरान आफताब बहुत आश्वस्त था। वह बोल्ड था। उसने पलक तक नहीं झपकाया। उसने सोचा कि हम उसे कभी नहीं पकड़ पाएंगे। लक्ष्मण ने बताया था कि आफताब श्रद्धा को पीटता था। 2021 में आफताब द्वारा पीटे जाने पर श्रद्धा को उसके दोस्तों ने बचाया था। कुछ दिनों बाद वह आफताब के पास लौट गई थी।

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सबूत दिखाने पर आफताब ने कबूल किया जुर्म
पाटिल ने बताया कि उन्हें आफताब पर शक हो गया था। उन्होंने आफताब को दो बार घर जाने की अनुमति दी और दिल्ली पुलिस से संपर्क कर मामले के महत्व के बारे में बताया। तीसरी बार आफताब को पुलिस ने दिल्ली में बुलाया। इस बार दिल्ली पुलिस के साथ-साथ मानिकपुर पुलिस की एक टीम ने भी पूछताछ की। आफताब लगातार अपने बयान बदल रहा था। कई सबूत दिखाए जाने पर आफताब ने कबूल कर लिया कि उसने श्रद्धा की हत्या की है।

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