Lucknow के लाल ने रच दिया इतिहास: ISS में कदम रखने वाले शुभांशु शुक्ला बने पहले भारतीय

Published : Jun 27, 2025, 12:08 AM IST
Group Captain Shubhanshu Shukla shares his first in-flight experience aboard Ax-4

सार

Shubhanshu Shukla ISS Entry: वायुसेना पायलट शुभांशु शुक्ल ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में प्रवेश कर इतिहास रच दिया। जानिए स्पेस मिशन की पूरी कहानी, 60 साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स और भारत के इस ऐतिहासिक पल की झलक।

Shubhanshu Shukla ISS Entry: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ल (Shubhanshu Shukla) ने गुरुवार को भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय लिखा। वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station - ISS) में कदम रखने वाले पहले भारतीय बन गए।

Docking के बाद ‘बेयर हग्स’ से हुआ स्वागत

जैसे ही Crew Dragon capsule 'Grace' ने ISS से सफलतापूर्वक Dock किया, लाइव तस्वीरों में देखा गया कि शुभांशु शुक्ल और उनके तीन अंतरराष्ट्रीय सहयोगी पेगी व्हिटसन (USA), स्लावोज विस्नेवस्की (पोलैंड), और टिबोर कापू (हंगरी) को अंतरिक्ष स्टेशन में पहले से मौजूद सात अंतरिक्ष यात्रियों ने बेयर हग्स के साथ स्वागत किया।

Docking प्रॉसेस: क्या होता है 'Soft Capture' और 'Hard Capture'?

भारतीय समयानुसार 4:01 PM पर Mission Control ने 'Soft Capture' की पुष्टि की जहां अंतरिक्ष यान और स्टेशन के बीच शुरुआती संपर्क स्थापित होता है ताकि मूवमेंट से उत्पन्न ऊर्जा को अवशोषित किया जा सके। कुछ ही मिनटों बाद 'Hard Capture' कन्फर्म हुआ, यानी एक मजबूत भौतिक कनेक्शन बन गया। 4:15 PM IST पर NASA ने Docking प्रक्रिया के सफल समापन की घोषणा की।

6:10 PM पर खुलेगा हैच, तब जाकर पूरी तरह जुड़ेंगे ISS से

कनेक्शन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद, Dragon capsule और ISS के बीच का हैच शाम 6:10 बजे (IST) खोला गया।

Axiom-4: Falcon 9 से 28 घंटे की रोमांचक यात्रा

मिशन की शुरुआत बुधवार दोपहर 12:01 बजे (IST) हुई जब SpaceX के Falcon 9 रॉकेट ने Kennedy Space Centre से उड़ान भरी। यह वही लॉन्चपैड है जहां से Neil Armstrong का Apollo 11 मिशन शुरू हुआ था। 6 बार की देरी और एक सॉफ्टवेयर गड़बड़ी के बाद आखिरकार रॉकेट ने अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी।

मिशन में भारत का योगदान: 60 में से 7 एक्सपेरिमेंट भारतीय प्रस्तावित

अगले 14 दिनों में ये चारों यात्री 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। इनमें से 7 प्रयोग भारत द्वारा प्रस्तावित हैं, जैसे: ‘Water Bears’ नामक माइक्रोस्कोपिक जीवों पर माइक्रोग्रैविटी का प्रभाव। Bio-manufacturing और Bio-astronautics पर आधारित अध्ययन।

शुभांशु बोले: यह हम सबकी सामूहिक उपलब्धि

मिशन की सफलता के बाद शुभांशु शुक्ल ने कहा: मैं रोमांचित हूं। लॉन्च के समय बस इतना सोचा कि अब उड़ चलो। जब रॉकेट उठा तो अनुभव कुछ और ही था। पहले आप सीट में धंसते हैं और फिर अचानक एकदम शांत माहौल। आप बस शून्य में तैर रहे होते हैं। यह वाकई जादुई है। उन्होंने पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का आभार जताते हुए कहा कि यह केवल मेरी नहीं, हम सबकी उपलब्धि है। जिन्होंने भी इस मिशन को संभव बनाया, उनका मैं हृदय से धन्यवाद करता हूं।

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