From The India Gate: कहीं मुफ्त बिजली देने पर भी कुर्सी खतरे में, तो कहीं आई साउंड सिस्टम वाले की शामत

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 35वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 35वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

दोस्त-दोस्त ना रहा...

Latest Videos

राजस्थान कांग्रेस में आजकल हर कोई यही गुनगुना रहा है। यह सबकुछ लाल डायरी की वजह से है। लाल डायरी भूत डायरी बन गई है। हर कोई इससे डर रहा है। लाल डायरी का डर दिखाकर विधानसभा में दंगल करने वाले बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र गुढा को सहारा देने वाला अब कोई नहीं है। उनके खास दोस्त ने भी उनसे दूरी बना ली है। संकट के समय गुढा को जहां दोस्त की सबसे ज्यादा जरूरत थी, वहां वो अकेले खड़े नजर आ रहे हैं। मामला यहां तक पहुंच गया है कि अब दोस्त बर्खास्त मंत्री का कॉल भीड रिसीव नहीं कर रहा। सच्चाई यह है कि अपने युवा दोस्त की मदद के लिए ये भाई साब कई बार सीमाएं लांघ चुके हैं। सीएम और कांग्रेस के बड़े नेताओं तक से ये पंगा ले चुके हैं। यहां तक कहा था- माई का दूध पिया है तो हमारे युवा नेता के खिलाफ एक्शन लेकर दिखाओ। खैर, ये सब पुरानी बात हो गई। अब जब गुढा साब को किसी सहारे की जरूरत पड़ी तो अपने खास पराये बन गए। फिलहाल गुढा भरी भीड़ में अकेले रह गए हैं।

फ्री में बिजली दे रहे, उसके बाद भी खतरे में कुर्सी!

साल के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले बिजली चोरों की बल्ले-बल्ले हो रही है। लंगर, जंपर, वायर, जिसको जो मिल रहा है उससे वो बिजली चोरी कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की हालत सबसे खराब है। बिजली चोरी के बाद भी कोई एक्शन नहीं है। कांग्रेसी नेता का एक मौखिक आदेश है कि चुनाव आ रहे हैं, एक्शन हुआ तो लोग नाराज हो सकते हैं। बता दें, ज्यादातर बिजली चोरी के मामले रूलिंग पार्टी वाले नेताओं के इलाकों से आ रहे हैं। अप्रैल 2023 से 1-2 मामलों को छोड़कर बिजली विभाग ने कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया है। अब बीजेपी इसको मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है। रूलिंग पार्टी नेताओं को लग रहा है- एक तो फ्री में सब दे रहे हैं, उसके बाद भी कुर्सी खतरे में है।

From The India Gate: कहीं सरेआम 'बगावत' तो कहीं टूटती दिख रही नेताजी की 'उम्मीद'

साउंड सिस्टम की शामत..

विचित्र किंतु सत्य! केरल पुलिस द्वारा हाल ही में एक साउंड सिस्टम संचालक के खिलाफ एक्शन लेते हुए उसके अनाउंसमेंट इक्विपमेंट्स जब्त कर लिए गए। आखिर उसका अपराध क्या था? दरअसल, दिवंगत कांग्रेस नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी की याद में आयोजित शोक सभा के दौरान जब सीएम पिनराई विजयन भाषण देने वाले थे, तभी माइक में कुछ गड़बड़ी आ गई। इस दौरान माइक से 10 सेकेंड तक चीखने की आवाज आई। बस फिर क्या था, पिनराई विजयन अपना आपा खो बैठे। हालांकि, उन्होंने किसी तरह अपनी बात पूरी की और ऑडिटोरियम छोड़ चले गए। मामला आया गया हो गया, लेकिन शोक सभा के लिए साउंड सिस्टम उपलब्ध कराने वाली कंपनी के मालिक को उस वक्त जोरदार झटका लगा, जब उसे पुलिस की तरफ से फोन आया। इसके बाद उसके सभी साउंड सिस्टम जैसे कि एम्प्लीफायर और केबल वगैरह को जब्त करने के लिए छापा मारा गया। हालांकि, जब मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को इस मामले पर पुलिस द्वारा स्वत: संज्ञान लेने की बात पता चली तो उन्होंने पुलिस को आगे की कार्रवाई से रोक दिया। इसके बाद पुलिस ने साउंड संचालक के जब्त सभी उपकरण वापस कर दिए और उसके खिलाफ केस रद्द करते हुए चुपचाप अपना पल्ला झाड़ लिया। हालांकि, इस मामले में नुकसान तो पहले ही हो चुका था। वैसे, साउंड सिस्टम के खराब होने की आशंका का डर अब पुलिस पर हावी हो चुका है। इसकी बानगी तब नजर आई, जब गुरुवार शाम को पुलिस और टेक्नीशियंस की टीम एक कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम की टेस्टिंग करते देखी गई। पता चला कि इस कार्यक्रम में सीएम भाषण देने वाले थे। वैसे, विपक्षी नेता वीडी सतीसन की टिप्पणी इस घटना को सबसे अच्छी तरह एक्सप्लेन करती है- पहला आरोपी माइक्रोफोन है और दूसरा एम्प्लीफायर।

टिड्डे पर निर्भरता..

साम्यवादी विचारधारा हमेशा अंधविश्वास के विरुद्ध खड़ी रही है। लेकिन जब हिंदू देवी-देवताओं और प्रथाओं का मामला आता है तो इनवामपंथी बुद्धिजीवियों की टिप्पणियां तेज हो जाती हैं। केरल में CPM नेता और स्पीकर एएन शमसीर की भगवान गणेश के खिलाफ की गई टिप्पणी इसका सबसे ताजा उदाहरण है। बीजेपी पहले से ही शमसीर के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। वहीं, सीपीएम नेता जोर-शोर से उनका बचाव कर रहे हैं। हालात ये हैं कि जुबानी जंग एक-दूसरे को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देने के स्तर तक पहुंच गई है। हालांकि, जब CPM के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार ने ग्रासहॉपर (हरे टिड्डे) को राज्य लॉटरी के शुभंकर के रूप में चुना तो भौंहें तन गईं। बता दें कि केरल सरकार अपना व्यवसाय चलाने के लिए लॉटरी टैक्स से होने वाली इनकम पर बहुत ज्यादा निर्भर है। इसके अलावा इनकम का दूसरा स्रोत शराब की बिक्री है। किसी कम्युनिस्ट सरकार को खुद को बचाए रखने के लिए टिड्डे पर निर्भर देखना वाकई में अजीब है। शायद ये फैसला इस तथ्य से उपजा है कि टिड्डी मिथक की उत्पत्ति चीनी है और केरल CPM बिना किसी हिचकिचाहट के चीन की कसम खाता है।

'हाथ' की पांचों उंगलियां बराबर नहीं..

पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं और ये कांग्रेस के हाथ में कभी नहीं दिखा। कर्नाटक ने जिस भारी बहुमत के साथ कांग्रेस पार्टी को चुना, उससे लगता है कि उसके नेतृत्व में गुटबाजी और सत्ता संघर्ष का नशा एक बार फिर छाने लगा है। 1975 से गांधी परिवार के प्रति वफादार रहे सीनियर लीडर बीके हरिप्रसाद को सरकार में जगह न देना इसका पहला उदाहरण है। एडिगा समुदाय के नेताओं के साथ बैठक के दौरान, हरिप्रसाद ने एक किंगमेकर की भूमिका निभाई। उन्होंने दावा किया कि वो किसी भी मुख्यमंत्री को गद्दी से उतार सकते हैं। ये राज्य कांग्रेस में एक विवाद बन गया और कई लोग हरिप्रसाद के खून की दुहाई देने लगे। हरिप्रसाद ने अन्य सीनियर कांग्रेस लीडर को भी मंत्रियों के खराब प्रदर्शन के बारे में शिकायत करने के लिए प्रेरित किया। इसके चलते सीएम सिद्धारमैया को हालात का आकलन करने के लिए आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा। हरिप्रसाद द्वारा और ज्यादा लड़ाई के मोर्चे खोलने से नई सरकार की इमेज खराब हुई है। हालांकि, कुछ लोग उनके खिलाफ एक्शन चाहते थे, लेकिन गांधी परिवार के साथ उनकी निकटता इसमें एक बड़ी बाधा है। हरिप्रसाद पार्टी को कार्रवाई करने की चुनौती भी दे रहे हैं और संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में और रील्स का खुलासा किया जाएगा।

BJP के संकटमोचक..

कर्नाटक में नई सरकार को आए हुए दो महीने से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी विपक्ष के पास कोई नेता नहीं है। ऐसे में संकटमोचक अमित शाह ने समाधान निकालने के लिए बीएल संतोष, प्रह्लाद जोशी, शोभा करंदलाजे, जीएम सिद्धेश्वरा और रमेश जिगाजिनागी के साथ चर्चा की। हालांकि, इस दौरान गृह मंत्री पूरे समय चुप ही रहे हैं, जबकि स्वाभाविक पसंद पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई थे। कार्यकर्ता बसनगौड़ा पाटिल यतनाल के पक्ष में थे। लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि अगर एक का अभिषेक किया जाता है तो दूसरा नाखुश तो रहेगी ही। गेंद अब अमित शाह के पाले में है। अमित शाह ने अनौपचारिक रूप से JDS और गठबंधन के नफा-नुकसान पर भी राय ली। अब इंतजार इस बात का है कि क्या प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा एक साथ होगी।

ये भी देखें : 

From The India Gate: पार्टी को रास नहीं आई 'रणनीति' तो हो गई बदली, उधर नेताजी को धीरे से लगा 'जोर का झटका'

Share this article
click me!

Latest Videos

Christmas Tradition: लाल कपड़े ही क्यों पहनते हैं सांता क्लॉज? । Santa Claus । 25 December
Devendra Fadnavis के लिए आया नया सिरदर्द! अब यहां भिड़ गए Eknath Shinde और Ajit Pawar
सचिन तेंदुलकर ने बॉलिंग करती लड़की का वीडियो शेयर किया, बताया भविष्य का जहीर खान #shorts
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts