राष्ट्रपति डिनर में सोनिया को न्यौता नहीं, कांग्रेस का बहिष्कार; बोले, ट्रंप उत्सव है यह कार्यक्रम

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से आयोजित रात्रि भोज में शामिल होने के न्यौते को ठुकरा दिया है। चौधरी ने कहा, सोनिया गांधी को न बुलाए जाने के कारण यह निर्णय लिया जा रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 25, 2020 5:40 AM IST

नई दिल्ली. अमेरिका के राष्ट्रपति दो दिवसीय भारत दौरे पर है। ट्रंप के दौरे का आज दूसरा दिन है। इस दौरान राष्ट्रपति विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रपति भवन में रात्रि भोज का आयोजन किया गया है। जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से आयोजित रात्रि भोज में शामिल होने के न्यौते को ठुकरा दिया है। राष्ट्रपति ट्रम्प के सम्मान में 25 फरवरी को राष्ट्रपति भवन में रात्रिभोज देंगे। प्रोटोकॉल के तहत लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी को न्यौता भेजा गया है।

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मोदी के शब्दकोष में बदल चुका है लोकतंत्र का अर्थ 

अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''हमारी पार्टी की नेता सोनिया गांधी को निमंत्रण नहीं दिया गया है। ट्रम्प और मोदी दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लोकतंत्र के कई निहितार्थ हैं, जिनमें से शालीनता और शिष्टाचार भी है। जब मोदी अमेरिका गए, तब रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स, दोनों हाउडी मोदी कार्यक्रम में मंच पर मौजूद थे। लेकिन, यहां मोदी के शब्दकोष में लोकतंत्र का अर्थ बदल चुका है। यहां सिर्फ मोदी का शो होगा, जैसे कि भारत मोदी का हो। 

ट्रंप उत्सव है यह कार्यक्रम 

कांग्रेस 134 साल पुरानी लोकतांत्रिक पार्टी है और हमारी नेता को सभी लोकतांत्रिक देशों ने मान्यता दी है। मगर उन्हें नहीं बुलाया गया है। इसका कांग्रेस से सीधा संबंध है, इसलिए मैं न्यौते को स्वीकार नहीं सकता और उसे ठुकराता हूं। हमारी सरकार के रहते हुए यह सुनिश्चित किया गया था कि विश्व नेताओं के आगमन पर मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता उनसे मुलाकात कर सकें। 

उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रम्प के आने पर सैकड़ों करोड़ रु पए बर्बाद किए जा रहे हैं। यह कार्यक्रम ट्रम्प उत्सव के अलावा कुछ नहीं है। व्यापार समझौते को लेकर ट्रम्प अपनी राय पहले ही जता चुके हैं। ट्रम्प विक्रेता की तरह दिखाई देंगे और मोदी खरीदार की तरह। इससे भारत को क्या फायदा मिलेगा। 

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