कांग्रेसी दिग्गजों के मना करने के बाद भी सोनिया ने ले लिया यह निर्णय, जारी रहेगी पुरानी परंपरा

कांग्रेस पार्टी के युवा इकाई में संगठनात्मक चुनाव की व्यवस्था जारी रखने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरी झंडी दे दी है। हालांकि इसे जारी रखने के निर्णय पर कई कांग्रेसी दिग्गजों ने हामी नहीं भरी। सोनिया से मंजूरी मिलने के बाद भारतीय युवा कांग्रेस के भीतर संगठनात्मक चुनाव की शुरुआत पंजाब से हो रही है। 

नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के ना करने के बावजूद पार्टी की युवा इकाई में संगठनात्मक चुनाव की व्यवस्था जारी रखने को हरी झंडी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, सोनिया से मंजूरी मिलने के बाद भारतीय युवा कांग्रेस के भीतर संगठनात्मक चुनाव की शुरुआत पंजाब राज्य से हो रही है जहां इसी महीने चुनाव संपन्न कराया जाएगा। हाल ही में ऐसी खबरें आई थीं कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं खासकर कुछ पीसीसी अध्यक्षों की आपत्ति के बाद युवा कांग्रेस और दूसरे ऐसे संगठनों में आंतरिक चुनाव की व्यवस्था पर फिलहाल विराम लगाया जा सकता है।

24 से 27 नवंबर के बीच होगा मतदान 

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कांग्रेस से जुड़े विश्वस्थ सूत्रों ने बताया कि गत शुक्रवार को सोनिया गांधी ने युवा कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी के साथ मुलाकात में यह स्पष्ट किया कि संगठनात्मक चुनाव की व्यवस्था जारी रहेगी। सोनिया से हरी झंडी मिलने के साथ ही युवा कांग्रेस ने पंजाब में संगठन के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संगठन की ओर से तय अस्थायी चुनावी कार्यक्रम के मुताबिक राज्य में 24 से 27 नवंबर के बीच मतदान होगा और 28 नवंबर को नतीजों की घोषणा कर दी जाएगी।

पंजाब के बाद केरल का लगेगा नंबर

एक सूत्र ने बताया, ‘‘मानव संसाधन की कमी के चलते चुनाव चरणबद्ध तरीके से कराए जाएंगे। पंजाब में चुनाव पूरा होने के बाद उन राज्यों में चुनाव कराए जाएंगे जहां पिछले पांच-सात साल से चुनाव नहीं हुए हैं। जिसमें, केरल में सात साल से संगठन का चुनाव नहीं हुआ है। ऐसे में संभव है कि पंजाब के बाद केरल में चुनाव हों।’’ दरअसल, राहुल गांधी ने बतौर कांग्रेस महासचिव फ्रंटल संगठनों के प्रभारी की भूमिका निभाते हुए संगठनात्मक चुनाव की व्यवस्था शुरू की थी ताकि जमीनी स्तर के योग्य युवाओं को कांग्रेस पार्टी में आगे बढ़ने का मौका मिल सके। चुनाव की जिम्मेदारी राहुल के करीबियों में शुमार सचिन राव को दी गई थी।

तय समय पर नहीं हो सके चुनाव 

राहुल गांधी के महासचिव रहते युवा कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव की व्यवस्था उनके अध्यक्ष रहते हुए भी जारी रही, हालांकि कई राज्यों में तय समय पर चुनाव नहीं हो सके। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं खासकर कुछ पीसीसी अध्यक्षों की ओर से यह कहा गया कि युवा कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव में बहुत स्थानों पर रसूखदार परिवारों से ताल्लुक रखने और धनबल का उपयोग करने वाले उम्मीदवारों के जीतने की जानकारी सामने आई है और ऐसे में फिलहाल चुनाव पर रोक लगनी चाहिए।

खड़े हुए है कई विवाद 

युवा कांग्रेस के चुनाव अतीत में कई बार विवाद भी खड़े हुए। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह 2011 में हिमाचल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव जीते थे। बाद में आचार संहिता का उल्लंघन करने का मामला बनने पर उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था। चुनाव की पैरोकारी कर रहे युवा कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों की राय है कि चुनाव से संगठन में जमीनी कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने का मौका मिलता है और ऐसे में राहुल गांधी द्वारा बनाई गई व्यवस्था चलती रहनी चाहिए। युवा कांग्रेस में ब्लॉक, जिला और प्रदेश स्तर के वरिष्ठ पदाधिकारियों का चुनाव सीधे कार्यकर्ता करते हैं। इनमें युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव भी शामिल हैं। युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रीय पदाधिकारियों की राय और टीम राहुल की रजामंदी से होता रहा है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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