
South Korea Teaches Bhojpuri: क्या आपने कभी सोचा है कि भोजपुरी सिर्फ बिहार और यूपी तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि अब विदेशों तक भी पहुँच चुकी है? हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें दक्षिण कोरिया के कंटेंट क्रिएटर येचन सी. ली (Yechan C. Lee) बच्चों को भोजपुरी सिखाते नजर आए। यह वीडियो देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा कि कैसे विदेशी बच्चों ने बड़े उत्साह के साथ भोजपुरी सीखना शुरू किया।
वीडियो में क्लासरूम जैसा माहौल है। बच्चे एक-एक शब्द को बड़े ध्यान और मजे के साथ दोहराते हैं। येचन (Yechan) बच्चों को बताते हैं कि अगर आप भारत जाएं और किसी से पहली बार मिलें, तो बोलें “का हो?”। फिर दूसरी बार मुलाकात हो तो कहना है “का हाल बा?”। हालचाल पूछने पर जवाब होगा “ठीक बा”, और विदाई में सिर्फ बाय नहीं बल्कि “खुश रहो” कहना चाहिए। बच्चों के उच्चारण और उत्साह को देखकर साफ समझ आता है कि वे भोजपुरी सीखने में कितना मज़ा ले रहे हैं।
Yechan का यह वीडियो साबित करता है कि भोजपुरी अब केवल गांव-देहात और लोकगीतों तक सीमित नहीं रही। यह भाषा अब ग्लोबल स्तर पर भी लोकप्रिय हो रही है। यह वीडियो 40kahani नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से साझा किया गया है, जिसमें 3 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। वीडियो अब तक 8 लाख से ज्यादा व्यूज पा चुका है और लगातार सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है।
लोग इस वीडियो पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। किसी ने लिखा, “दिल छू लेने वाला वीडियो”, तो किसी ने कहा, “भोजपुरी अब विदेशों में भी मशहूर हो रही है।” कुछ यूजर्स ने मजाकिया अंदाज में लिखा कि जैसे हम अंग्रेज़ी सीखते हैं, वैसे ही अब विदेशी लोग भोजपुरी सीख रहे हैं। यह देखकर भारतीय भाषाओं की वैश्विक पहचान और भी मजबूत होती दिख रही है।
येचन सी. ली (Yechan C. Lee) स्वयं को कोरियन बताते हैं, लेकिन उनकी भोजपुरी इतनी सटीक और प्रभावशाली है कि कई लोग उन्हें बिहारी तक कह देते हैं। उनका बचपन बिहार के पटना में बीता और उन्होंने वहीं 12वीं तक पढ़ाई की। यही वजह है कि उनकी भोजपुरी इतनी स्वाभाविक लगती है।
येचन (Yechan) की इस कोशिश से यह साफ हो गया कि भारतीय भाषाएँ सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना सकती हैं। भोजपुरी का प्रचार न केवल भाषा तक सीमित है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, लोक परंपरा और भावनाओं को वैश्विक स्तर पर पेश करने का एक तरीका भी बन गया है। इस वीडियो के जरिए दुनिया को यह संदेश गया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति और आनंद का भी एक जरिया हो सकती है।