भारत की ठाल बनेगा श्रीलंका, ऐसे रुकेगी चीन की घुसपैठ

श्रीलंकाई राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच आतंकवाद सहित कई अहम मुद्दों पर हस्ताक्षर हुए हैं। श्रीलंका ने भारत से चीन की घुसपैठ रोकने का वादा किया है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 29, 2019 12:07 PM IST / Updated: Nov 29 2019, 05:40 PM IST

नई दिल्ली: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे फिलहाल भारत के दौरे पर हैं। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करके कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए। श्रीलंकाई राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच आतंकवाद सहित कई अहम मुद्दों पर हस्ताक्षर हुए हैं। श्रीलंका ने भारत से चीन की घुसपैठ रोकने का वादा किया है।

शुक्रवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा कि वह भारत के साथ अपने देश के द्विपक्षीय संबंधों को "बहुत उच्च स्तर" पर ले जाने का प्रयास करेंगे। राष्ट्रपति भवन में एक औपचारिक स्वागत के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि ''भारत और श्रीलंका दोनों देशों के लोगों की सुरक्षा और समग्र कल्याण से संबंधित मुद्दों पर एक साथ काम करने की आवश्यकता है''। 10 दिन पहले श्रीलंका की बागडोर संभालने के बाद राजपक्षे तीन दिवसीय यात्रा पर गुरुवार को दिल्ली पहुंचे।

श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी है जिसमें विदेश सचिव रविनाथ आर्यसिंह और ट्रेजरी सचिव एस आर एट्टीगेल शामिल हैं।

इस यात्रा में श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधामंत्री के बीच कुछ अहम मुद्दों पर बात हुई जिनमें आतंकवाद का मुद्दा भी शामिल था। समझौते के अनुसार भारत श्रीलंका को 4000 करोड़ की मदद देगा और बदले में श्रीलंका चीन की घुसपैठ पर लगाम लगाएगा। भारत की मदद में 2865 करोड़ रुपय अर्थव्यवस्था की मजबूती, 358 करोड़ रुपये आतंकवाद और 716 करोड़ रुपये सौर परियोजना के लिए देगा। इसके अलावा श्रीलंका ने भारतीय मछुआरों को छोड़ने का भी वादा किया है।

गोटाबाये राजपक्षे से मुलाकात के बाद मोदी ने कहा कि नेवरहुड पॉलिसी के तहत श्रीलंका भारत की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा "भारत और श्रीलंका ने एक मजबूत संबंध साझा किया है। ‘नेवरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ के तहत श्रीलंका को हम अपने संबंधों में प्राथमिकता पर रखते हैं। भारत हमेशा आतंकवाद के खिलाफ लड़ता रहा है। हम श्रीलंका को आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए 358 करोड़ रु. (50 मिलियन डॉलर) की मदद देंगे।"

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