'द कश्मीर फाइल' से फिर चर्चाओं में ये शख्स, जिसने घाटी में लाखों बेगुनाहो को इस्लामिक आतंकवादियों से बचाया था

डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) की की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) ने 1990 के दशक के कश्मीर की भयावह स्थिति सामने लाकर कर रख दी है। इस बीच एक नाम फिर से सुर्खियों में हैं, वो है जगमोहन(Jagmohan) यानी जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल। कश्मीर पंडित आज भी मानते हैं कि अगर वे जिंदा हैं, तो सिर्फ जगमोहन की वजह से। बता दें जगमोहन का जन्म 1927 में अविभाजित भारत के हाफिजाबाद (अब पाकिस्तान)  में हुआ था।

नेशनल न्यूज डेस्क. डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) की की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) ने 1990 के दशक के कश्मीर की भयावह स्थिति सामने लाकर कर रख दी है। इस बीच एक नाम फिर से सुर्खियों में हैं, वो है जगमोहन(Jagmohan) यानी जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल। कश्मीर पंडित आज भी मानते हैं कि अगर वे जिंदा हैं, तो सिर्फ जगमोहन की वजह से। बता दें जगमोहन का मई, 2021 में निधन हो गया था।

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उनके साहस के कारण ही कश्मीर पंडितों की जान बची
जब कश्मीर में इस्लामी आतंकवादियों के हाथों पंडितों पर अत्याचार हो रहे थे, उनका कत्लेआम हो रहा था, तब जगमोहन ने ही कुछ ऐसे कदम उठाए थे कि कश्मीरी पंडितों की जान बच सकी। उनके निधन पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने tweet करके कहा था कि जगमोहन का जाना एक पूरे देश के लिए क्षति है। उनके निधन पर सोशल मीडिया पर काफी कमेंट्स आए थे। सबका यही मानना था कि जब-जब  कश्मीर का इतिहास लिखा जाएगा, कश्मीरों पंडितों के रक्षक के रूप में एक ही आदमी का नाम आएगा, वो हैं जगमोहन।

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जगमोहन ने 2011 में इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा था
जगमोहन ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे लेख में कहा था- घाटी से काफिरों एवं केंद्र के कर्मचारियों को बाहर फेंकने के लिए कश्मीरी पंडितों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया। उस समुदाय के मुख्य मुख्य लोगों को चुन चुन कर मारा जाने लगा। जैसे टिक्का लाल टिप्लू जो की भारतीय जनता पार्टी के नेता थे, उन्हें 14 सितम्बर को मार डाला गया था, ऐसे ही एन के गंजू को 4 नवम्बर और 28 दिसंबर को पत्रकार पी एन भट्ट की हत्या कर दी गयी थी। उन्होंने लिखा-“जब से मैंने कार्यभार सम्हाला, तब से मैंने वह सब किया जो मैं इस पलायन  को रोकने के लिए कर सकता था।”

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आतंकवादियों के खिलाफ चलाए थे सख्त ऑपरेशन
दूसरी पारी में राज्यपाल के पद पर रहते हुए जगमोहन ने आतंकवादियों के खिलाफ कई ऑपरेशन चलवाए। इससे बौखलाकर कट्टरपंथी इस्लामी उनके खिलाफ तक हो गए थे। जगमोहन ने ही श्राइन बोर्ड का गठन किया था, जिसके अंतर्गत माता वैष्णो देवी और अमरनाथ यात्रा होती है। अरुण शौरी ने 2004 में कहा था कि यह जगमोहन ही रहे, जिन्होंने भारत के लिए घाटी को बचाया। बता दें कि जगमोहन दो बार जम्मू-कश्मीर (अब केंद्र शासित) के राज्यपाल रहे। कांग्रेस सरकार ने 1984 में राज्यपाल बनाकर भेजा था। तब वह जून 1989 तक इस पद पर रहे। फिर वीपी सिंह सरकार ने उन्हें दोबारा जनवरी 1990 में राज्यपाल बनाकर भेजा। तब वह इस पद पर मई 1990 तक रहे। 

कौन हैं ये कश्मीरी पंडित
कश्मीरी पंडितों को कश्मीर ब्राह्मण भी कहते हैं। ये जम्मू और कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्र यानी कश्मीर घाटी के पंच गौड़ ब्राह्मण समूह से ताल्लुक रखते हैं। 1990 से जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर नहीं था, तब मुस्लिम प्रभाव के बावजूद कश्मीरी पंडित मूल रूप से कश्मीर घाटी में ही रहते थे। लेकिन मुस्लिम प्रभाव बढ़ने के साथ बड़ी संख्या में लोगों का जबरिया मुस्लिम बना दिया गया।

1981 तक कश्मीर में पंडितों की आबादी सिर्फ 5 प्रतिशत बची थी। 1990 के दशक में आतंकवाद के उभार के दौरान कट्टरपंथी इस्लामवादियों और आतंकवादियों द्वारा उत्पीड़न और धमकियों के बाद उनका पलायन और बढ़ गया। 19 जनवरी 1990 की घटना सबसे शर्मनाक थी। उस दिन मस्जिदों से घोषणाएं की गईं कि कश्मीरी पंडित काफिर हैं। पुरुषों को या तो कश्मीर छोड़ना होगा या इस्लाम में परिवर्तित होना होगा या उन्हें मार दिया जाएगा। जिन लोगों ने पहला विकल्प चुना, उनसे अपने परिवार की महिलाओं को वहीं छोड़कर जाने को कहा गया। कश्मीरी पंडितों पर लिखी गईं तमाम किताबों के अनुसार 1990 के दशक के दौरान 140,000 की कुल कश्मीरी पंडित आबादी में से करीब 100,000 ने घाटी छोड़ दी। कुछ लोग यह संख्या 2 लाख तक बताते हैं। 

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