राज्यों से विदा हो रही कांग्रेस पुनर्जीवन के लिए हर बदलाव को तैयार, चिंतन शिविर में होंगे महत्वपूर्ण फैसले

सीडब्ल्यूसी (Congress Working Committee) की मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी सदस्यों के सुझाव सुने और उन्होंने पार्टी की बेहतरी के लिए आवश्यक बदलाव करने केलिए हामी भी भरी। उन्होंने कहा कि वह हर बदलाव को तैयार हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 13, 2022 8:01 PM IST

नई दिल्ली। पांच राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस (Congress) ने मंथन करने का मन बना लिया है। हालांकि, सीडब्ल्यूसी (CWC) की मीटिंग में अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के इस्तीफा की पेशकश को सदस्यों ने खारिज कर दिया। तय हुआ कि कांग्रेस चिंतन शिवर (Congress Chintan Shivir) का आयोजन करेगी। इस शिविर में आगे की रणनीति पर विचार करने के साथ भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी। 

पार्टी की घटती चुनावी किस्मत को पुनर्जीवित करने के लिए बड़े पैमाने पर सुधारों के आह्वान के बीच, एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) ने कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की चार घंटे से अधिक की बैठक के बाद कहा कि पार्टी अध्यक्ष तुरंत सुधार और सुधार के लिए सुधारात्मक उपाय करेंगी। कांग्रेस संसद के बजट सत्र के तुरंत बाद एक चिंतन शिविर आयोजित करेगी। 

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बदलाव के लिए तैयार

सीडब्ल्यूसी (Congress Working Committee) की मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी सदस्यों के सुझाव सुने और उन्होंने पार्टी की बेहतरी के लिए आवश्यक बदलाव करने केलिए हामी भी भरी। उन्होंने कहा कि वह हर बदलाव को तैयार हैं। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सीडब्ल्यूसी का हर एक सदस्य चाहता है कि सोनिया गांधी संगठनात्मक चुनाव होने तक पार्टी का मार्गदर्शन करें।

असंतुष्ट नेताओं के जी-23 ग्रुप के तीन लोग ही मौजूद

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने वालों में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, वेणुगोपाल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी और पी चिदंबरम शामिल थे। सीडब्ल्यूसी में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शामिल नहीं हुए। वरिष्ठ नेता एके एंटनी भी मौजूद नहीं थे क्योंकि वह कोविड संक्रमित हैं। जबकि पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत के सुर बुलंद करने वाले असंतुष्ट नेताओं के जी-23 ग्रुप के तीन लोग ही सम्मिलित हुए। इनमें से गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक मौजूद रहे।

राहुल को अध्यक्ष बनाने की उठी मांग

बैठक से पहले, राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का शोर फिर तेज हो गया। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी प्रमुख का पद संभालने के लिए उनके समर्थन में आवाज उठाई। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोई भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला नहीं कर रहा है जैसा कि राहुल गांधी करते हैं और दृढ़ता से लड़ रहे हैं। गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा ही राहुल गांधी पर निशाना साधकर अपना भाषण शुरू करतेहै, आप समझ सकते हैं कि इसका क्या मतलब है। हम सभी चाहते हैं कि राहुल जी पार्टी नेतृत्व की कमान संभालें।

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने भी गांधी को पार्टी प्रमुख बनाने के विचार का समर्थन किया। उन्होंने ट्वीट किया, "जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, श्री राहुल गांधी को तुरंत पूर्णकालिक भूमिका में कांग्रेस अध्यक्ष पद ग्रहण करना चाहिए। यह मेरे जैसे लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं की इच्छा है।" अलका लांबा सहित दिल्ली कांग्रेस के नेताओं के नेतृत्व वाले एक समूह ने राहुल गांधी को पार्टी का नेतृत्व करने के लिए समर्थन दिया और उनके और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पक्ष में नारे लगाए।

2019 में आम चुनावों में पार्टी को लगातार दूसरी हार का सामना करने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सोनिया गांधी, जिन्होंने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में फिर से पार्टी की बागडोर संभाली, ने भी अगस्त 2020 में नेताओं के एक वर्ग जिसे जी-23 कहा जाता है, द्वारा कड़ी आलोचना के बाद पद छोड़ने की पेशकश की, लेकिन सीडब्ल्यूसी ने उन्हें जारी रखने का आग्रह किया था।

बजट सत्र में जनहित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाएंगे

इससे पहले दिन में, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने संसद के आगामी बजट सत्र के लिए पार्टी की रणनीति पर चर्चा की और सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को उठाने के लिए समान विचारधारा वाले अन्य दलों के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया। कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह की बैठक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर हुई।

कांग्रेस को मिली है करारी हार

कांग्रेस पंजाब को आम आदमी पार्टी से हार गई, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर को भाजपा से नहीं छीन सकी और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में पार्टी की संख्या सबसे कम हो गई। हालांकि, सोनिया गांधी कुछ समय से सक्रिय रूप से प्रचार नहीं कर रही हैं लेकिन राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव में कांग्रेस के लिए स्टार प्रचारक रहे थे।

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