भोपाल, ग्वालियर, जोधपुर में महिलाएं महसूस करती हैं असुरक्षा: स्टडी

अध्ययन में बताया गया है कि अविवाहित महिलाओं तथा छात्राओं को यौन उत्पीड़न का अधिक खतरा है यह अध्ययन सामाजिक उद्यम 'सेफ्टिपिन', सरकारी संगठन केओआईसीए और एनजीओ एशिया फाउंडेशन ने किया है
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 1, 2019 10:09 AM IST / Updated: Dec 02 2019, 04:31 PM IST

नयी दिल्ली: भोपाल, ग्वालियर और जोधपुर में करीब 90 फीसदी महिलाएं सुनसान और असुरक्षित इलाकों की वजह से वहां सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। एक अध्ययन में बताया गया है कि अविवाहित महिलाओं तथा छात्राओं को यौन उत्पीड़न का अधिक खतरा है। यह अध्ययन सामाजिक उद्यम 'सेफ्टिपिन', सरकारी संगठन केओआईसीए और एनजीओ एशिया फाउंडेशन ने किया है।

अध्ययन में 219 सर्वेक्षणों को शामिल किया

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इस अध्ययन में मध्य प्रदेश के भोपाल और ग्वालियर तथा राजस्थान के जोधपुर में किए गए 219 सर्वेक्षणों को शामिल किया गया है। अध्ययन के मुताबिक, 89 फीसदी महिलाओं का कहना है कि उन्हें सुनसान इलाकों की वजह से असुरक्षित महसूस होता है। 63 प्रतिशत महिलाओं ने कहा है कि सार्वजनिक परिवहन की गाड़ियों के लगभग खाली होने की वजह से उन्हें डर लगता है, 86 फीसदी महिलाओं ने कहा है कि आसपास मादक पदार्थ और शराब की बिक्री की वजह से वे असुरक्षित महसूस करती हैं। 68 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि सुरक्षा की कमी से उन्हें असुरक्षा का अहसास होता है।

50 फीसदी महिलाओं को यौन उत्पीड़न का खतरा

अध्ययन में बताया गया है कि महिलाओं को बसों, शेयर्ड ऑटो और सार्वजनिक परिवहन के अन्य माध्यमों में सफर करने दौरान अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ता है। इस अध्ययन के मुताबिक, छात्राओं (57.1 प्रतिशत) और अविवाहित महिलाओं (50.1फीसदी) को यौन उत्पीड़न का अधिक खतरा है। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि घूरना, पीछा करने, फब्तियां कसने और छूने जैसी घटनाएं बढ़ी हैं लेकिन इन्हें यौन उत्पीड़न जितना गंभीर नहीं माना जाता है।

इसमें बताया गया है कि भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर उत्पीड़न की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। अध्ययन के मुताबिक, करीब 50 फीसदी में से 39 प्रतिशत महिलाओं ने सार्वजनिक परिवहन और बाजारों को ऐसे सार्वजनिक स्थलों के तौर पर बताया है जहां उत्पीड़न की काफी घटनाएं होती हैं।

इसमें बताया गया है कि 26 फीसदी महिलाओं ने कहा है कि वे सड़क किनारे यौन उत्पीड़न का सामना करती हैं, जबकि 16 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें सार्वजनिक परिवहन का इंतजार करने के दौरान यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(प्रतिकात्मक फोटो)

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