हाथ की घड़ी का समय देख सकता है यह सैटेलाइट... कार्टोसैट-3 की ऐसी 5 खूबियों से दहशत में हैं दुश्मन

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने 27 नवंबर को मिलिट्री सैटेलाइट कार्टोसैट-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। कार्टोसैट-3 पृथ्वी से 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाएगा। जिससे अब भारतीय सेनाएं पाकिस्तान की नापाक हरकत और उनकी आतंकी गतिविधियों पर अपनी पैनी नजर रख पाएंगी।

Asianet News Hindi | Published : Nov 27, 2019 4:38 AM IST / Updated: Feb 02 2022, 10:21 AM IST

श्रीहरिकोटा. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने 27 नवंबर की सुबह देश की सुरक्षा के लिए एक नया कीर्तीमान रचा है। इसरो ने सुबह 9.28 बजे मिलिट्री सैटेलाइट कार्टोसैट-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। जिसके बाद अब भारतीय सेनाएं पाकिस्तान की नापाक हरकत और उनकी आतंकी गतिविधियों पर अपनी पैनी नजर रख पाएंगी। जरूरत पड़ने पर इस सैटेलाइट की मदद से सर्जिकल या एयर स्ट्राइक भी कर पाएंगी। 

कार्टोसैट-3 की 5 खूबियां

1- इसरो द्वारा लांच किए गए कार्टोसैट-3 सैटेलाइट सैटेलाइट पीएसएलवी-सी47 रॉकेट से छोड़ा गया। कार्टोसैट-3 पृथ्वी से 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाएगा। 27 नवंबर की सुबह 9.28 बजे श्रीहरिकोटा द्वीप पर स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्चपैड-2 से इसे लॉन्च किया गया।

2- 6 स्ट्रैपऑन्स के साथ यह पीएसएलवी की 21 वीं उड़ान थी। जबकि, पीएसएलवी रॉकेट की यह 74वीं उड़ान थी। कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के 13 अन्य नैनो सैटेलाइट भी छोड़े जाएंगे। ये सैटेलाइट्स कॉमर्शियल उपयोग के लिए हैं।  Cartosat-3 अपनी सीरीज का नौवां सैटेलाइट है।  

3- कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष में 509 किलोमीटर की ऊंचाई से जमीन पर 9.84 इंच की ऊंचाई तक की स्पष्ट तस्वीर ले सकेगा। यानी आप की कलाई पर बंधी घड़ी पर दिख रहे सही समय की भी सटीक जानकारी देगा। 

4- दुनिया का सबसे ताकतवर सैटेलाइट कैमरा होगा Cartosat-3 में कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि संभवतः अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है।

5- अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआई-1 सैटेलाइट 16.14 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है.

8 सैटेलाइट अब तक हुए हैं लॉन्च

कार्टोसैट-1: 5 मई 2005
कार्टोसैट-2: 10 जनवरी 2007
कार्टोसैट-2ए: 28 अप्रैल 2008
कार्टोसैट-2बी: 12 जुलाई 2010
कार्टोसैट-2 सीरीज: 22 जून 2016
कार्टोसैट-2 सीरीज: 15 फरवरी 2017
कार्टोसैट-2 सीरीज: 23 जून 2017
कार्टोसैट-2 सीरीज: 12 जनवरी 2018

आतंकी गतिविधियों पर रहेगी सीधी नजर

कार्टोसैट-3 का उपयोग देश की सीमाओं की निगरानी के लिए होगा। साथ ही प्राकृतिक आपदाओं में भी मदद करेगा। पाकिस्तान और उसके आतंकी कैंपों पर नजर रखने के लिए यह मिशन देश की सबसे ताकतवर आंख होगी। यह सीमाओं पर नजर रखेगी। दुश्मन या आतंकियों ने हिमाकत की तो इस आंख की मदद से हमारी सेना उन्हें उनके घर में घुस कर मारेगी।

यह है उद्देश्य 

कार्टोसैट-3 का वजन 1,625 किलोग्राम है और यह बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय भूमि के उपयोग तथा भूमि कवर के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करेगा।  इसरो के मुताबिक श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से यह 74वां प्रक्षेपण यान मिशन होगा। कार्टोसैट-3 का जीवनकाल पांच साल का होगा। कार्टोसैट-3 और 13 अन्य नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण बीते 22 जुलाई को चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण के बाद हो रहा है।

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