उज़्बेकिस्तान में 15-16 सितंबर को SCO शिखर सम्मेलन, भारत के लिए काफी अहमियत रखती है ये मीटिंग

उज़्बेकिस्तान(Uzbekistan) के शहर समरकंद में 15 और 16 सितंबर को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी SCO का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। इस दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से उनकी मुलाकात संभावित है।

Amitabh Budholiya | Published : Sep 14, 2022 2:39 AM IST / Updated: Sep 14 2022, 08:12 AM IST

समरकंद. उज़्बेकिस्तान(Uzbekistan) के शहर समरकंद(Samarkand) में 15 और 16 सितंबर को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी SCO का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। इस दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से उनकी मुलाकात संभावित है। कहा जा रहा है इस मीटिंग का एजेंडा रूस-यूक्रेन जंग और फूड सिक्योरिटी जैसे मुद्दे हो सकते हैं। SCO समिट में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल हो रहे हैं। लेकिन अभी तक यह तय नहीं है कि मोदी इन नेताओं से मिलेंगे या नहीं। प्रधानमंत्री 14 सितंबर को समरकंद पहुंचेंगे और 16 सितंबर को भारत वापस लौटेंगे। 

भारत के लिए अहम है यह समिट
यह समिट भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस शिखर सम्मेलन के बाद भारत सितंबर 2023 तक के लिए एससीओ समूह की अध्यक्षता करेगा। इस समिट में चीन और पाकिस्तान की मौजूदगी भी है, जो वर्षों से भारत के साथ खराब रिश्ते रखे हुए है। यह समिट ऐसे समय में हो रही है, जब भारत-चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है। वहीं, चीन और ताइवान के बीच भी तनातनी है। बेशक मोदी और जिनपिंग की सीधे मुलाकात की संभावना कम है, लेकिन साल 2019 में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) से इतर ब्रासीलिया में मुलाकात के बाद यह पहली बार होगा, जब पीएम मोदी और शी जिनपिंग दोनों एक ही मंच पर आमने-सामने होंगे। रूस के साथ भारत की मीटिंग कूटनीति का बड़ा हिस्सा हो सकती है, क्योंकि यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रूस पश्चिमी देशों के बैन का सामना कर रहा है। लिहाजा वो चीन के साथ रिश्ते बढ़ाना चाहता है। भारत पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस से सस्ते कीमत पर कच्चे तेल का आयात कर रहा है।

जानिए कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) ने उज़्बेकिस्तान के शहर समरकंद में यह शिखर सम्मेलन आयोजित किया है।

उज़्बेकिस्तान के के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव ने इसकी घोषणा की थी। बता दें कि SCO दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय ब्लॉक है। इसमे भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान सदस्य देश हैं। दो देश ईरान और बेलारूस इसमें शामिल होने की प्रॉसेस में हैं। अभी उन्हें अफगानिस्तान और मंगोलिया के साथ पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल है।

सोमवार को अपनी ऑफिसियल वेबसाइट पर पब्लिक एक आर्टिकल में मिर्जियोयेव ने विश्वास जताया था कि 15-16 सितंबर के लिए निर्धारित कार्यक्रम संगठन के इतिहास में "एक नए फेज को जन्म देगा। उन्होंने विश्वास जताया है कि इससे SCO सदस्यों की संख्या बढ़ेगी और भविष्य के एजेंडे का गठन किया जाएगा।

पॉलिटिकल साइंटिस्ट कमोलिद्दीन रब्बीमोव(Kamoliddin Rabbimov) ने उज़्बेकिस्तान के मीडिया का दिए एक इंटरव्यू में कहा कि उज़्बेकिस्तान SCO के रूप में ग्लोबल कॉम्पटीशन पर नहीं, बल्कि ग्लोबल कॉपरेशन पर जोर देता है। शिखर सम्मेलन के इन्फ्रास्ट्रक्चर के भीतर कई बहुपक्षीय और द्विपक्षीय बैठकें निर्धारित हैं। इन बैठकों में एससीओ सदस्य देशों के बीच आर्थिक-वित्तीय-निवेश और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।

यह भी पढ़ें
वेदांता का चीन को बड़ा चैलेंज, गुजरात में 'चिप' प्लांट का ऐलान, PM ने 6 महीने पहले भांप लिया था दुनिया का रुख
महारानी के ताज पर सजे दुनिया के सबसे बडे़ 'कोहिनूर' हीरे को लेकर फिर Controversy, 15 अरब है इसकी कीमत
पाकिस्तान में बाढ़: मुस्लिमों की मदद के लिए खुल गए मंदिर, लेकिन हिंदुओं को पुलिस ने रिलीफ कैम्पों से खदेड़ा

 

Read more Articles on
Share this article
click me!