28 सप्ताह बाद रेप विक्टिम का होगा अबार्शन...सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाजत लेकिन हॉस्पिटल को दिया एक आदेश

शनिवार को इससे नाराज सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को लताड़ लगाई थी। बिना देर किए पुन: मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मंगवाया और सोमवार को पीड़िता को राहत दे दी।

Supreme Court allowed abortion of Rape Victim: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात की रेप विक्टिम को अबार्शन की इजाजत दे दी है। पीड़िता 28 माह की गर्भवती है। इसके पहले पीड़िता ने गुजरात हाईकोर्ट में इसके लिए अपील की थी लेकिन हाईकोर्ट ने लापरवाहीपूर्ण 12 दिन बाद सुनवाई की तारीख तय की थी। शनिवार को इससे नाराज सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को लताड़ लगाई थी। बिना देर किए पुन: मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मंगवाया और सोमवार को पीड़िता को राहत दे दी।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने अबार्शन की इजाजत देते हुए?

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 21 अगस्त को प्रेग्नेंट युवती के केस में सुनवाई की है। जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि भारतीय समाज में शादी के बाद प्रेग्नेंट होना कपल और उनके परिवार के लिए खुशियां लाता है लेकिन इसके उलट बिना शादी की प्रेग्नेंसी काफी पीड़ा दायक होती है। खासतौर से जब रेप के मामलों में ऐसा होता है तो यह विक्टिम के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है। बेंच ने कहा कि एक महिला का दुष्कर्म होना, अपने आप में कष्टदायक है। वह अगर प्रेग्नेंट हो जाए तो यह पुराने घावों को याद दिलाता रहता है। ऐसी स्थिति में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को देखते हुए पीड़िता को अबार्शन की इजाजत दी जाती है। पीड़िता को मंगलवार को अस्पताल ले जाया जाए ताकि अबार्शन का पूरा प्रासेसे पूरा किया जा सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि अबार्शन के बाद भी यदि भ्रूण जीवित पाया जाता है तो हॉस्पिटल को उसे जीवित रहने को सुनिश्चित करने के लिए सुविधाएं देनी होगी। इसके बाद बच्चे को कानून के अनुसार गोद देने की प्रक्रिया अपनाई जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी

गुजरात हाईकोर्ट द्वारा 12 दिन बाद सुनवाई की तारीख तय करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त ऐतराज जताया। सुनवाई करती हुई जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई होनी चाहिए थी। ऐसा उदासीन दृष्टिकोण ठीक नहीं। हाईकोर्ट को फटकार लगाते हुए बेंच ने कहा कि इस केस को सुनते हुए सेंस ऑफ अर्जेंसी दिखनी चाहिए थी जिसका अभाव है। ऐसे मामले में कोर्ट कैसे कोई फैसला दिए बिना ही 12 दिन बाद सुनवाई की तारीख तय कर सकता। याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि पीड़िता 27 सप्ताह और 2 दिन की गर्भवती है। जल्द ही 28 हफ्ते में पहुंच जाएगी। इस पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि बहुत ही बहुमूल्य समय नष्ट हो चुका है। हम मेडिकल बोर्ड से नई रिपोर्ट मांगे हैं। याचिकाकर्ता को एक बार फिर एग्जामिन करने का निर्देश दिया जाता है। नई स्टेटस रिपोर्ट 20 अगस्त की शाम तक कोर्ट को सौंपी जाएगी। पढ़िए पहले दिन की सुनवाई की पूरी रिपोर्ट…

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