सुप्रीम कोर्ट ने कहाः पेड वैक्सीनेशन नीति मनमाना और तर्कहीन

Published : Jun 02, 2021, 05:02 PM ISTUpdated : Jun 02, 2021, 05:38 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहाः पेड वैक्सीनेशन नीति मनमाना और तर्कहीन

सार

सुप्रीम कोर्ट ने देश में चल रहे वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर बड़ी टिप्पणी की है।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में चल रहे वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि 18 से 44 साल के लोगों को पेड वैक्सीनेशन की नीति प्रथमदृष्टया मनमाना और तर्कहीन है। 

केंद्र सरकार की वैक्सीनेशन नीति पर नाराजगी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित होते हुए नहीं देख सकते हैं। 45 साल से कम उम्र वालों को पेड वैक्सीनेशन मनमाना है। अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार एक रोडमैप पेश करे कि कैसे वह दिसंबर तक देश के सभी वयस्कों को वैक्सीनेट कर देगी। 

कोर्ट ने कहा कि 18-44 साल वाले सबसे अधिक संक्रमित हो रहे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 18-44  साल के उम्रवर्ग वाले सबसे अधिक संक्रमण का शिकार हुए हैं और सबसे अधिक मौतें भी हुई है। लंबे समय तक उनको अस्पतालों में रहना पड़ रहा है। यह कैसी नीति है कि एक उम्र वर्ग को फ्री वैक्सीन दिया जाए और दूसरे वर्ग को कीमत देकर वैक्सीन लगवाना पड़े।

सरकार के तर्क पर नाराजगी जताई

कोर्ट ने सरकार के इस तर्क पर भी नाराजगी जताई जिसमें सरकार ने कोर्ट को नीतियों को लागू करने में दूर रहने की सलाह दी गई है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह संवेदनशील समय है और कोर्ट मूक दर्शक नहीं बना रह सकता है जब नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो। हमारा संविधान यह नहीं कहता है कि जब नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो तो आप मूकदर्शक बने रहें। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर 35 हजार करोड़ रुपये कैसे खर्च हो गए, उनका इस्तेमाल 18-44 साल के उम्र वर्ग वालों के लिए कैसे खर्च हो रहा है। युवाओं को कोरोना के इलाज में प्राथमिकताएं क्यों नहीं दी जा रही हैं। 
 

कोविन एप पर रजिस्ट्रेशन पर भी सवाल उठा चुका है कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कोविन एप पर वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन पर भी एक दिन पहले सवाल उठाए थे। कोर्ट ने कहा था कि सभी जानते हैं कि देश में डिजिटल साक्षरता बेहद कम है। गांव और सुदूर क्षेत्रों में इंटरनेट की समस्या सबसे अधिक है। सरकार केवल हलफनामा देकर नहीं बच सकती है। एप पर रजिस्ट्रेशन को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी समस्या पैदा होगी। वैक्सीन नहीं लग पाएगा। जहां इंटरनेट की समस्या सबसे अधिक है या इंटरनेट है ही नहीं वहां कोविन पर पंजीकरण करना कितना संभव है। 

कोर्ट ने वैक्सीन की कीमतों को लेकर पहले भी उठाए हैं सवाल

सुप्रीम कोर्ट वैक्सीन की कीमतों को लेकर भी सवाल उठा चुका है। सुनवाई के दौरान पूर्व में कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि केंद्र सरकार की यह कौन सी खरीद नीति है जिसमें खरीद में बंटवारा कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र और राज्यों के लिए अलग-अलग कीमत निर्धारित नहीं कर सकते हैं। केंद्र सरकार के पास ड्रग्स एंड काॅस्मेटिक एक्ट के तहत कीमतें तय करने की शक्तियां है। वैक्सीन निर्माताओं पर आखिर क्यों कीमतें निर्धारित करने के लिए छोड़ दिया गया है।  

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