सुप्रीम कोर्ट ने 56 वकीलों को सीनियर का दर्जा दिया जिसमें 11 महिलाएं और 34 पहली पीढ़ी के वकील शामिल हैं।
Supreme Court creates History: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इतिहास बनाया है। एक ही दिन में 11 महिला वकीलों को सीनियर एडवोकेट का दर्जा देकर रिकॉर्ड बनाया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड के नेतृत्व वाली कमेटी ने 11 महिला वकीलों को एक साथ सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 56 वकीलों को सीनियर का दर्जा दिया जिसमें 11 महिलाएं और 34 पहली पीढ़ी के वकील शामिल हैं।
इन महिला वकीलों को मिला सीनियर वकील का दर्जा
सुप्रीम कोर्ट में जिन 11 महिला वकीलों को सीनियर का दर्जा दिया गया है उसमें शोभा गुप्ता, स्वरूपमा चतुर्वेदी, लिज़ मैथ्यू, करुणा नंदी, उत्तरा बब्बर, हरिप्रिया पद्मनाभन, अर्चना पाठक दवे, शिरीन खजूरिया, एनएस नप्पिनई, एस जननी और निशा बागची शामिल हैं।
पहली पीढ़ी के तीन वकील बनें सीनियर एडवोकेट
पहली पीढ़ी के वकीलों में अमित आनंद तिवारी, सौरभ मिश्रा और अभिनव मुखर्जी शामिल हैं।
फुल-कोर्ट मीटिंग में फैसला
यह फैसला शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की फुल-कोर्ट मीटिंग में लिया गया। बड़ी संख्या में महिला वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा देने के फैसले का स्वागत करते हुए, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ वकील ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का एक ऐतिहासिक कदम है और वास्तव में योग्यता को पहचानकर लैंगिक न्याय की सेवा है। यह महिला वकील के प्रति सम्मान दर्शाता है।
सुप्रीम कोर्ट में अबतक केवल 14 महिलाओं को वरिष्ठ वकील का दर्जा
सुप्रीम कोर्ट ने अब तक केवल 14 महिलाओं को वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया है। इसमें दो रिटायर जज भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट में 2019 में सबसे अधिक छह महिला वकीलों को एक साथ सीनियर एडवोकेट बनाया गया था। एक साथ माधवी दीवान, मेनका गुरुस्वामी, अनीता शेनॉय, अपराजिता सिंह, ऐश्वर्या भाटी और प्रिया हिंगोरानी को वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया गया था।
इंदु मल्होत्रा थीं पहली सीनियर वकील
भारत के इतिहास में सुप्रीम कोर्ट ने इंदु मल्होत्रा को सबसे पहले सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया था। इंदु मल्होत्रा, जस्टिस के रूप में रिटायर हुई थीं। सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व में आने के 57 साल बाद 2007 में जस्टिस मल्होत्रा को नामांकित किया गया था। इसके बाद 2013 में मीनाक्षी अरोड़ा, किरण सूरी और विभा दत्ता मखीजा को वरिष्ठ वकील बनाया गया। 2015 में दो और महिला वकीलों वी मोहना और महालक्ष्मी पावनी को सीनियर एडवोकेट बनाया गया। हाईकोर्ट से रिटायर दो महिला जजों को भी बाद में सीनियर एडवोकेट बनाया गया। 2006 में जस्टिस शारदा अग्रवाल और 2015 में जस्टिस रेखा शर्मा को सीनियर एडवोकेट बनाया गया था।
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