प्रवासी मजदूरों के लिए वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम को जल्द से जल्द सभी राज्यों में लागू कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हुई है। SC ने उन राज्यों को कड़ी फटकार लगाई है, जो इस स्कीम को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं। खासकर बंगाल और दिल्ली के रवैये से SC नाराज हुआ।
दिल्ली. प्रवासी मजदूर देश के किसी भी राज्य में सरकारी राशन ले सकें, इसे लेकर केंद्र सरकार 'वन नेशन वन राशन कार्ड' स्कीम लेकर आई है। लेकिन कुछ राज्य इसे अभी लागू नहीं कर सके है। इसे लेकर शुक्रवार का सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बंगाल और दिल्ली को कड़ी फटकार लगी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस स्कीम को जितनी जल्दी हो सके लागू करें, ताकि प्रवासी मजदूरों को इसका फायदा मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई गई हैं याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में विभिन्न राज्यों से जवाब मांगा था। इसी मामले में एक्टिविस्ट अनिल भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप चोकर ने भी नई याचिकाएं लगाई हैं। फिलहाल, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
बंगाल और दिल्ली के रवैये से नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में केंद्र सरकार के अलावा राज्यों ने भी अपना तर्क रखा। पंजाब और महाराष्ट्र में यह स्कीम लागू हो चुकी है। लेकिन बंगाल की ओर से वकील ने सफाई दी कि आधार के सीडिंग इश्यू के कारण यह स्कीम अभी राज्य में लागू नहीं हो सकी है। केंद्र ने बताया कि अभी दिल्ली, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम यह स्कीम लागू नहीं कर सके हैं। हालांकि दिल्ली के वकील ने बताया कि उनके यहां यह स्कीम लागू हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने बहानेबाजी नहीं करने को कहा
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्कीम प्रवासी मजदूरों के हितों से जुड़ी है, इसलिए इसे गंभीरता से लें। कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी। सभी राज्यों को यह स्कीम प्राथमिकता से लागू करना चाहिए।
रजिस्ट्रेशन सॉफ्टवेयर में देरी पर नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए अभी तक सॉफ्टवेयर नहीं बन पाने को लेकर भी नाराजगी जताई। यह साफ्टवेयर बनने पर देशभर के मजदूरों का डेटा एक जगह मिल सकेगा। सॉफ्टवेयर पर पिछले साल अगस्त से काम चल रहा है। इसे पूरा होने में अभी भी 4 महीने और लगेंगे। इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए।
राशन कार्ड का मुद्दा भी उठाया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन मजदूरों के पास अभी तक राशन कार्ड ही नहीं है, उन्हें केंद्र सरकार नवंबर तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत फ्री राशन कैसे दे पाएगा? दरअसल, यह मुद्दा एक्टिविस्ट की तरफ से सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने उठाया था। उनका कहना था कि यह जिम्मेदारी केंद्र अपनी तरफ से राज्यों पर थोप रहा है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि यह योजना नवंबर तक बढ़ा दी गई है। अब तक इस योजना के तहत 8 लाख मीट्रिक टन अनाज दिया जा चुका है। राशन बांटने की जिम्मेदारी राज्यों पर है।