दिल्ली हिंसा की जांच कराने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज किया? इसके पीछे है बड़ी वजह

गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर मार्च के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए लगाई गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि सरकार इस मामले में अपना काम कर रही है। जांच में कोई कमी नहीं है। सरकार ने इसे काफी गंभीरता से लिया है। हमने प्रधानमंत्री का बयान भी सुना है। कानून अपना काम कर रही है इसलिए सरकार को इसकी जांच करने दीजिए।
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 3, 2021 7:31 AM IST

नई दिल्ली. गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर मार्च के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए लगाई गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि सरकार इस मामले में अपना काम कर रही है। जांच में कोई कमी नहीं है। सरकार ने इसे काफी गंभीरता से लिया है। हमने प्रधानमंत्री का बयान भी सुना है। कानून अपना काम कर रही है इसलिए सरकार को इसकी जांच करने दीजिए।

याचिका में किया मांग की गई थी?
मांग की गई थी कि हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग बनाया जाए, जिसकी अगुआई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें। इसके अलावा इसमें दो रिटायर जज हाईकोर्ट के होने चाहिए। 

आंतकी न कहने वाली याचिका भी खारिज
कोर्ट ने उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें मीडिया को यह आदेश देने की मांग की गई थी कि बिना सबूत किसानों को आंतकी न कहें। वकील मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में मांग की थी कि इसमें संबंधित अथॉरिटी और मीडिया को निर्देश दिया जाए। अगर कोई बगैर सबूत किसानों को आतंकी कहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। 

पत्रकार राजदीप सरदेसाई और मृणाल पांडे और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल, इन तीनों लोगों पर गणतंत्र दिवस की रैली के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत पर कथित रूप से अपुष्ट खबर साझा करने का आरोप है, जिसके बाद कई एफआईआर दर्ज की गई। 

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