तिरुपति लड्डू में जानवरों की चर्बी? सुप्रीम कोर्ट ने बनाई SIT, जानें कब क्या हुआ
तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम में जानवरों की चर्बी की मिलावट का आरोप लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वतंत्र जांच के आदेश दिए हैं। जांच समिति में CBI और FSSAI के अधिकारी शामिल होंगे।
Dheerendra Gopal | Published : Oct 4, 2024 8:07 AM IST / Updated: Oct 04 2024, 01:54 PM IST
Tirupati Laddoo row: तिरुपति मंदिर में श्रीवारी लड्डू प्रसादम में जानवरों की चर्बी मिक्स घी का इस्तेमाल किए जाने के विवाद ने पूरे देश को झकझोर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एक स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन किया। एसआईटी में दो सीबीआई के अफसर, दो आंध्र प्रदेश पुलिस के अफसर और एक एफएसएसएआई का अधिकारी शामिल होगा। पूरे जांच की निगरानी सीबीआई डायरेक्टर करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद में मिलावट की जांच के लिए सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में कई याचिकाएं स्वतंत्र जांच के लिए दायर की गई थी। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, राज्य सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी, तिरुपति मंदिर की तरफ से सिद्धार्थ लूथरा और तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (TTD) के पूर्व चेयरमैन वाईवी सुब्बारेड्डी की तरफ से कपिल सिब्बल ने पैरवी की है।
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जानिए कब-कब क्या हुआ?
आंध्र सीएम व टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को दावा किया था कि तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद में गाय-सुअर की चर्बी या मछली के तेल के मिलाया जाता रहा है। नायडू ने घी सप्लाई करने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करते हुए एग्रीमेंट खत्म कर दिया। उन्होंने बताया था कि मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी गई है।
19 सिंतबर को आंध्र सरकार ने लैब टेस्ट रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। यह लैब रिपोर्ट, केंद्र सरकार द्वारा संचालित गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) की लैब ने दी है। रिपोर्ट में बताया गया कि प्रसाद में जिस घी का इस्तेमाल किया जाता है, वह जानवरों के फैट का बना है। दावा किया गया है कि रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल किए गए घी में मछली के तेल, गोमांस की चर्बी और लार्ड यानि सूअर की चर्बी के अंश मिले हैं।
टीडीपी ने दावा किया कि जानवरों की चर्बी वाली घी का मामला वाईएसआरसीपी के सत्ता में रहने के दौरान का है। एक साल पहले ही कंपनी से एग्रीमेंट हुआ था जो मिलावटी घी सप्लाई की है।
टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू के दावे के बाद पार्टी ने कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में जब आई तो प्रसाद की क्वालिटी में सुधार कराया और एनिमल फैट का उपयोग, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया।
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के पूर्व प्रधान चेयरमैन और वाईएसआर सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने कहा कि तिरुपति लड्डू की पवित्रता पर सीएम नायडू का बयान बहुत ही अपमानजनक है। इससे दुनिया भर के हिंदुओं की भावनाएं आघात हुई हैं। टीटीडी ने 2019 से 2024 तक नैवेद्यम और प्रसादम तैयार करने में उच्चतम मानकों को बनाए रखा।
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) ने तिरुपति मंदिर प्रसाद मामले में किए जा रहे दावे को खारिज कर दिया। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने स्पष्ट किया कि उसने चार वर्षों से अधिक समय से तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को घी की आपूर्ति नहीं की है जिससे यह पता चलता है कि उनके घी में पशु वसा होने का दावा निराधार है।
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू के दावे के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने करोड़ों श्रद्धालुओं के आस्था के केंद्र तिरुपति मंदिर के लड्डू में गाय की चर्बी, सूअर की चर्बी का अंश, मछली के तेल मिलाने संबंधी आरोपों की जांच के लिए राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी।
उधर, पूर्व सीएम जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तिरुपति मंदिर के लड्डू (Tirupati Laddu) में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने संबंधी मामले की जांच के लिए कमेटी बनाने की मांग।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू को तिरुपति मामले में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर बयानबाजी करने पर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्पष्ट कहा कि राजनीति से कम से कम भगवान को दूर रखा जाए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्वतंत्र जांच के लिए कमेटी गठित करने की बात कही। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन कर दिया।
तिरुपति मंदिर (Tirupati Balaji Mandir) दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में एक प्रमुख मंदिर है। करोड़ों श्रद्धालु यहां हर साल आते हैं। भगवान वेंकटेश के इस पवित्र मंदिर में बनने वाले श्री वारी लड्डू का इतिहास 300 साल पुराना है। यह प्राचीन पोटू किचन में बनाया जाता है। वर्तमान में रोज यहां 3.5 लाख लड्डू बनते हैं। शुद्ध देशी घी में बनने वाले इन लड्डूओं को ब्राह्मण एक विशेष अनुष्ठान के साथ तैयार करते हैं। मंदिर के इस प्रसाद से ही अकेले सालाना 500 करोड़ रुपये की आय होती है।