ज्ञानवापी केस: सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब देने में छूटा पसीना, SG ने कहा- मी लार्ड,रिपोर्ट नहीं पढ़ी...

बनारस के ज्ञानवापी सर्वे केस का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कई सवाल दागे। दोनों पक्षों ने तर्क से मामले को अपने पक्ष में करने की कोशिश जरूर की लेकिन कोर्ट के कई सवालों पर दोनों पक्ष फंसते नजर आए। एक मौके पर तो सॉलिसिटर जनरल ने रिपोर्ट पढ़कर दुबारा आने के लिए एक दिन का मौका तक मांग लिया।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वाराणसी प्रशासन से पूछा कि उत्तर प्रदेश शहर में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वास्तव में 'शिवलिंग' (भगवान शिव का प्रतीक) कहां पाया गया? तो यूपी सरकार के सॉलिसिटर जनरल चुप हो गए। फिर उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि हमने रिपोर्ट नहीं देखी है। मी लार्ड...विस्तृत रिपोर्ट के साथ एक दिन का समय दिया जाए 

दरअसल, प्रशासन से सुप्रीम कोर्ट का यह सवाल मस्जिद समिति की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें वाराणसी में अधिकारियों को मस्जिद परिसर में फिल्मांकन रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा, "वास्तव में 'शिवलिंग' कहाँ पाया गया था?" 
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया, "हमने रिपोर्ट नहीं देखी है।" सॉलिसिटर जनरल ने कहा पूरी रिपोर्ट पढ़कर फिर आने के लिए एक दिन का मौका दिया जाए।

सरकार ने बताया क्यों किया गया जगह सील

मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वहां पूजा-अर्चना के लिए अनुमति मांगी जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो वहां की स्थिति और हालात में बदलाव हो जाएंगे। जब शिवलिंग नहीं मिला है तो उसे सील क्यों किया गया। 
इस पर मेहता ने कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा कि जिस स्थान पर 'शिवलिंग' पाया गया था, उसे किसी भी कानून और व्यवस्था के मुद्दों से बचने के लिए सील कर दिया गया है। अगर कोई नमाज़ (प्रार्थना) करने के लिए आएगा तो उसके पैरों से छुआ सकता था। ऐसी स्थिति में माहौल खराब हो सकता है। बताया गया है कि 'शिवलिंग' एक तालाब में पाया गया, जिसका इस्तेमाल नमाज से पहले "वज़ू" या शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए किया जाता रहा है।

कोर्ट ने दिया संतुलन बनाए रखने वाला आदेश

दोनों धर्मों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि यदि 'शिवलिंग' पाया गया है, तो क्षेत्र की रक्षा की जानी चाहिए, लेकिन मुसलमानों को नमाज के लिए मस्जिद में आने से रोके बिना।

मुस्लिम याचिकाकर्ता ने जताई आपत्ति

मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने शिवलिंग के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने यह दावा करते हुए कि यह एक "फव्वारा था, शिवलिंग नहीं"।

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में खड़े किए कई सवाल

सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने सवाल किया कि शहर की अदालत ने उस जगह को सील करने काआदेश कैसे दिया जबकि परिसर का सर्वेक्षण करने वाली समिति की रिपोर्ट अभी तक जमा नहीं हुई है। मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, "दूसरे पक्ष की दलीलों के आधार पर अदालत कैसे आगे बढ़ी और जगह को सील कर दिया? आदेश कैसे पारित किया जाता है, इसे देखें।"

सुप्रीम कोर्ट के शिवलिंग कहने पर भी मुस्लिम पक्ष को आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट के जज ने आदेश देने के दौरान शिवलिंग शब्द का इस्तेमाल किया तो मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई। कहा कि मामला अभी विवादित है। ऐसे में शिवलिंग मिलने वाली जगह न कहा जाए, इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम आर्डर में इसे इंडिकेट कर देंगे।

हिंदू याचिकाकर्ताओं का दावा, मिली है शिवलिंग

सोमवार को हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा एक सनसनीखेज दावा के बाद कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एक तालाब में "शिवलिंग" पाया गया था, एक स्थानीय अदालत ने इसे सील करने का आदेश दिया था। कहा जाता है कि "शिवलिंग" मस्जिद परिसर के एक अदालत द्वारा अनिवार्य फिल्मांकन के दौरान पाया गया था, जिसमें एक याचिका के बाद मस्जिद के पीछे एक मंदिर में प्रार्थना करने की मांग की गई थी।

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