
Waqf Amendment Act: वक्फ (संशोधन) कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस संबंध में 73 याचिकाएं लगाई गईं हैं। CJI (Chief Justice of India) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई की है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से नए कानून के कई प्रावधानों, खासकर 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियों के प्रावधानों पर कड़े सवाल पूछे। कहा है कि अगर आप 'वक्फ बाय यूजर' मान्यता रद्द करते हैं तो समस्याएं पैदा होंगी। कोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुसलमानों को शामिल करने के प्रावधान पर भी सवाल उठाए हैं। सरकार से पूछा है कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्डों का हिस्सा बनने की अनुमति देगी।
सुप्रीम कोर्ट ने waqf by user को रद्द करने की व्यावहारिकता पर चिंता जताई। CJI संजीव खन्ना ने कहा, "कई पुरानी मस्जिदें, खासकर 14वीं से 16वीं सदी की मस्जिदों में रजिस्टर्ड बिक्री के दस्तावेज नहीं होंगे। आप उपयोगकर्ता द्वारा ऐसे वक्फ को कैसे रजिस्टर्ड करेंगे? उनके पास कौन से दस्तावेज होंगे? ऐसे वक्फ को रद्द करने से बड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।"
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की धार्मिक संरचना पर सवाल उठाया। संशोधित वक्फ एक्ट में प्रावधान है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे। इसपर संजीव खन्ना ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, "क्या आप यह कह रहे हैं कि अब से आप मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्त बोर्डों का हिस्सा बनने की अनुमति देंगे? इसे खुलकर कहें।"
CJI ने कहा, "अधिनियम के अनुसार बोर्ड के 8 सदस्य मुस्लिम और 2 गैर-मुस्लिम होंगे। फिर हिंदू बंदोबस्ती के सलाहकार बोर्ड में गैर-हिंदुओं को भी क्यों नहीं रखा जाना चाहिए?" इसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसी तर्क के आधार पर मौजूदा बेंच मामले की सुनवाई नहीं कर सकती। इसपर CJI ने कहा, "जब हम यहां बैठते हैं तो अपना धर्म खो देते हैं। हमारे लिए दोनों पक्ष एक जैसे हैं।" इस मामले में गुरुवार को अगली सुनवाई होगी।