Supreme Court: जस्टिस गवई का तंज-आदेश देंगे तो फिर संसद और कार्यपालिका में हस्तक्षेप का दोषी ठहराया जाएगा

Published : Apr 21, 2025, 07:45 PM IST
Supreme Court of India (File Photo/ANI)

सार

सुप्रीम कोर्ट को लगातार टारगेट किए जाने क बाद जस्टिस गवई ने एक मामले में सुनवाई करते हुए तंज कसा है। जानिए पूरा मामला

SC sarcastic comment on interfering legislative: सुप्रीम कोर्ट पर विधायिका के मामलों में हस्तक्षेप के आरोपों और सत्ता पक्ष द्वारा लगातार किए जा रहे हमले पर कोर्ट ने जबर्दस्त तंज कसा है। सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने साफ कहा कि विधायिका और कार्यपालिका में हस्तक्षेप का आरोप न्यायपालिका पर लग रहा है। ओटीटी रेगुलेशन का काम सरकार का है। उसे निर्देश दिया जाए तो फिर आरोप लगेगा। हालांकि, बेंच ने सुनवाई की दूसरी तारीख तय की है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई की बेंच सोमवार को ओटीटी रेगुलेशन के एक मामले में सुनवाई कर रहा था। यह सुनवाई ओटीटी प्लेटफार्म्स पर अश्लील कंटेंट पर रोक लगाने के लिए हो रही। जस्टिस गवई ने कहा कि कोर्ट पर लगातार संसद और कार्यपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया जा रहा है। जस्टिस बीआर गवई ने कहा: वैसे ही हम पर संसद और कार्यपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया जा रहा है। इस विषय पर नियम बनाना सरकार का कार्य है और इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है।

अगले सप्ताह होगी लिस्टिंग

बेंच ने मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए लिस्ट किया। सुनवाई के दौरान मुस्कुराते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि हम अगली तारीख पर सुनवाई के बाद इसे खारिज कर देंगे। तो पैरवी कर रहे एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हम संतुष्ट करने में सक्षम हो सकते हैं। इस पर जस्टिस गवई ने कहा: यह नीतिगत क्षेत्र में है। नियम बनाना संघ का काम है। फिर मजाब में कहा कि चूंकि आप विष्णु और शंकर दोनों हैं इसलिए आप अपनी तीसरी आंख से निपट सकते हैं।

तमिलनाडु मामले के बाद सत्तापक्ष कर रहा आलोचना

सुप्रीम कोर्ट द्वारा तमिलनाडु के पेंडिंग बिलों को बिना राष्ट्रपति और राज्यपाल के अप्रूवल के ही लागू किए जाने पर लगातार टारगेट किया जा रहा है। कुछ दिन पहले ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने न्यायपालिका की आलोचना करते हुए कहा था: अब हमारे पास ऐसे जज हैं जो कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का कार्य करेंगे, सुपर संसद की तरह काम करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी। धनखड़ ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति को निर्देश देना असंवैधानिक है और सुप्रीम कोर्ट को संविधान की व्याख्या करने का अधिकार है, न कि आदेश देने का।

निशिकांत दुबे ने दिया विवादित बयान

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने इस बहस को और तीखा व विवादित बना दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि: अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बना रहा है तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में गृह युद्ध या धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। हालांकि, मामला जब तूल पकड़ा तो इस बयान से बीजेपी ने खुद को अलग कर लिया। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने कहा कि यह दुबे की व्यक्तिगत राय है, पार्टी की नहीं।

राजनीतिक और संवैधानिक बहस

बहरहाल, यह विवाद एक बड़े संवैधानिक विमर्श की ओर रूख कर रहा है जिसमें न्यायपालिका की सीमाएं, संसद की संप्रभुता, और कार्यपालिका की भूमिका शामिल है। सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई संवेदनशील मुद्दों पर हस्तक्षेप कर चुका है जिनमें चुनाव आयोग की स्वतंत्रता, पर्यावरण संरक्षण, और मौलिक अधिकार शामिल हैं।

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