
Student Suicide in Kota: राजस्थान के कोटा (Kota) में छात्रों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं (Student Suicides) पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। जस्टिस जे बी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) और आर महादेवन (Justice R Mahadevan) की बेंच ने कहा कि इस साल कोटा से 14 छात्रों के आत्महत्या करने के मामले सामने आ चुके हैं, जो बेहद गंभीर स्थिति को दर्शाते हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) के वकील से तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने कहा कि आप राज्य के तौर पर क्या कर रहे हैं? ये बच्चे क्यों आत्महत्या कर रहे हैं और सिर्फ कोटा में ही क्यों? राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाई गई है जो आत्महत्या के मामलों की जांच कर रही है।
कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एक 22 वर्षीय छात्र की IIT खड़गपुर (IIT Kharagpur) के हॉस्टल में 4 मई को आत्महत्या का मामला शामिल था। इसके साथ ही एक नीट (NEET) की तैयारी कर रही लड़की के कोटा में सुसाइड करने का मामला भी कोर्ट के सामने था। कोर्ट ने यह जानने के बाद कि IIT छात्र की मौत के बाद FIR दर्ज करने में चार दिन की देरी हुई, इस पर भी नाराजगी जताई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन मामलों को हल्के में न लें। ये बहुत गंभीर मुद्दे हैं। चार दिन बाद FIR क्यों दर्ज की गई? जब पुलिस अधिकारी ने बताया कि FIR 8 मई को दर्ज हुई और जांच जारी है तो कोर्ट ने कहा कि आप कानून के अनुसार जांच जारी रखें। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि FIR दर्ज नहीं होती तो वह संबंधित पुलिस अधिकारी पर अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकती थी।
कोर्ट ने 24 मार्च के अपने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (National Task Force) गठित की गई है जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य (Student Mental Health) से जुड़े मुद्दों पर काम करेगी। लेकिन तब तक राज्य को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
कोटा में नीट छात्रा के सुसाइड केस में FIR नहीं होने पर कोर्ट ने और भी सख्त रुख अपनाया। छात्रा ने नवंबर 2024 में कोचिंग इंस्टीट्यूट की हॉस्टल छोड़कर माता-पिता के साथ रहना शुरू किया था लेकिन फिर भी पुलिस की जिम्मेदारी बनती थी कि वह मामले में FIR दर्ज करे। कोर्ट ने आदेश दिया कि संबंधित पुलिस अधिकारी 14 जुलाई को पेश होकर सफाई दें।